- मनपसदं भोग, फूल के साथ माता के दरबार में पत्तियों को भी चढ़ाएं
- नवपत्रिकाओं को चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है
- नवपत्रिका यानी नौ तरह के पत्तों को माता की पूजा में चढ़ाया जाता है
मां दुर्गा के जिस तरह से नौ स्वरूप हैं, वैसे ही उनके हर स्वरूप की पूजा में कुछ न कुछ अलग चीजों का प्रयोग होता है। जैसे फूल, भोग और वस्त्रों का रंग आदि। माता की पूजा में एक अन्य चीजों का बहुत महत्व है जिसे बहुत कम लोग जानत है। ये है नवपत्रिका यानी नौ तरह के पत्तों का प्रयोग। मां के हर स्वरूप के लिए अलग-अलग पत्रिकाएं होती हैं। हर पत्रिका का माता
प्रतिनिधत्व करती हैं और इसे चढ़ाने से असीम फल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में यदि आप माता को नवपत्रिका चढ़ाते हैं तो आपके जीवन के दुख-दर्द और विपदाएं खत्म हो जाती हैं। ये नवपत्रिकांए हिंदू धर्म में हमेशा से पूजनीय मानी गई हैं और नवरात्रि में इनका महत्व काफी बढ़ जाता है। तो आइए जानते हैं कि मां दुर्गा पूजा के लिए नवपत्रिका की नौ पत्तियां का क्या महत्व है और कौन सी पत्रिका का माता का कौन सा स्वरूप प्रतिनिधत्व करता है।
दुर्गा पूजा में नवपत्रिका की नौ पत्तियां का महत्व
केले के पत्ते मां ब्राह्मणी का स्वरूप है
केले के पत्ते का प्रयोग हर पूजा में महत्व रखता है। हर शुभ काम में इसका होना जरूरी होता है। केले के वृक्ष को मां ब्राह्मणी का स्वरूप भी माना गया है। नवरात्रि में मां दुर्गा की स्थापना करते हुए केले के पत्तों को आसन के दोनों ओर जरूर लगाना चाहिए। इससे घर में सुख-समृदि्ध का वास होता है।
दारूहल्दी की पत्तियां
दारूहल्दी हिमालयी पेड होता है। ये कई रोगों की दवा है। इसका प्रयोग औषधिय के रूप में और मां दुर्गा की पूजा में भी किया जाता है। दारूहल्दी का वृक्ष मां काली के स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है। मां काली का आर्शीवाद तन-मन को शक्ति देता है और शत्रुओं पर विजय।
हल्दी की पत्तियां करती हैं विघ्न-बाधाएं दूर
हल्दी का वृक्ष मां दुर्गा का प्रतिनिधित्व करता है। हल्दी हिंदू धर्म में हर शुभ काम का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी गई है। नवरात्रि में हल्दी के वृक्ष की पत्तियां मां दुर्गा की पूजा में जरूर शामिल करें इससे आपके घर में आने वाली विघ्न बाधांए अपने आप दूर हो जाती हैं। यदि पत्ते न मिल पाएं तो आप कच्ची हल्दी की गांठ ही रखें।
जयंती की पत्तियां को बढ़ना शुभकारी है
जयंती बोने को विशेष महत्व नवरात्रि में होता है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान जयंती जितनी हरी भरी होती है घर में उतनी ही ज्यादा सुख और समृद्धि का वास होता है।
बेल पत्र चढ़ाने से अद्भुद आकर्षण पैदा होता है
बेल पत्र भगवान शिव का अत्यंत ही प्रिय है, लेकिन नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा में भी इसका महत्व बहुत है। नवरात्रि पर बेल पत्र चढ़ाने से माता बहुत प्रसन्न होती हैं और जातक के जवीन में प्रेम का प्रसार होता है और उसके अंदर अद्भुद आकर्षण पैदा होता है, जो उसे अन्य लोगों से अलग बनाता है।
अनार की पत्तियां सकारात्मक ऊर्जा का वास करती हैं
अनार की पत्तियों को नवरात्रि में माता के चरणों में चढ़ना उनता ही पुण्यकारी होता है जितना नौ दिन का व्रत। पूजा के समय भी फलों में अनार और अनार की पत्तियां होनी ही चाहिए। अनार की पत्तियों में सकारात्मक ऊर्जा होती है। अनार के पेड़ को घर में भी अवश्य लगाना चाहिए।
अशोक पत्र दुखों का करता है नाश
अशोक का पेड़ हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और लाभकारी माना गया है। इसे शोक हरण वृक्ष भी कहा गया है। नवरात्रि में दुर्गा मां की पूजा में अशोक कि पत्तियों को सजाने से घर के सारे दुख दूर हो जाते हैं।
धान की पत्तियां मां लक्ष्मी का प्रतीक हैं
धान के पत्तियां मां लक्ष्मी का प्रतीक होती हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा में धान की पत्तियां रखने से जीवन में कभी भी मनुष्य को आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता। धान की पत्तियों से मां दुर्गा की पूजा से करनें से मां अन्नापूर्णा का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है।
अमलतास की पत्तियां संकट हरण होती हैं
अमलतास की पत्तियां नवरात्रि में मां दुर्गा को अर्पित जरूर करें। ऐसा कर के आप अपने संकट को दूर कर सकते हैं। ऐसा करेन मात्र से जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं।
नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा और कलश स्थापना के दिन ही आप दिन नौ पत्तियों से माता का दरबार भी सजा दें। कुछ पत्तियां माता के चरणों में भी रखें।