- मां दुर्गा की उपासना का यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है
- इस वर्ष शारदीय नवरात्र के व्रत 29 सितंबर से शुरू हो रहे हैं
- नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है
Shardiya Navratri : हिंदू धर्म में नवरात्री का बेहद खास महत्व बताया गया है। मां दुर्गा की उपासना का यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र के व्रत 29 सितंबर से शुरू हो रहे हैं जो कि 7 सितंबर तक रखे जाएंगे। संस्कृत भाषा में नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ 'नौ रातें' होता है। इन 9 रातों में माता के भक्त मां दुर्गा के विभिन्न शक्ति रूपों की पूजा करते हैं। इस दौरान घरों में जागरण होता है और व्रत रख कर आखिरी दिन कन्याओं की पूजा की जाती है।
प्रति वर्ष कुल 4 नवरात्रि मनाई जाती है, जिसमें से दो बार गुप्त नवरात्रि और एक बार चैत्र तथा शारदीय नवरात्रि आती है। शारदीय नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी के किन-किन स्वरूपों की पूजा करनी चाहिये और उनके हर स्वरूप का क्या मतलब होता है, आइये जानते हैं....
मां शैलपुत्री
नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। इसका अर्थ है पहाड़ों की पुत्री। ऐसा इसलिये क्योंकि यह पर्वतों के राजा हिमालय की पुत्री हैं। कार्य सिद्धी और जीवन में सफलता अर्जित करने के लिये इनकी पूजा की जाती है।
मां ब्रह्मचारिणी
ब्रह्म का अर्थ होता है तप और चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली। नवरात्रि के व्रत करने में आने वाली बाधाओं को मां ब्रह्मचारिणी दूर कर शक्ति देती हैं।
मां चंद्रघंटा
मां चंद्रघंटा का अर्थ है चांद की तरह चमकने वाली। इन देवी की पूजा करने से इंसान पर आने वाली बुरी शक्तियों का नाश होता है। साथ ही यह चांद की तरह मन को शीतल भी बनाती हैं।
मां कूष्मांडा
नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। कूष्मांडा का अर्थ होता है, जिसके चरणों में पूरा संसार है। इनकी कृपा से सभी प्रकार के रोग-शोक का नाश होता है
मां स्कंदमाता
स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय यानि स्कंद जी की मां हैं इसलिये इनको यह नाम दिया गया है। स्कंदमाता को पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वाली कहा जाता है।
मां कात्यायनी
स्कन्द पुराण में उल्लेख है कि वे परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई थीं। इनकी पूजा इंसान को अमोघ फल देने वाला है। यानि कि ऐसा फल जिसका कभी नाश नही होता।
मां कालिरात्रि
काल का नाश करने वाली मां कालरात्रि, मां दुर्गा का ही स्वरूप हैं। मां का यह स्वरूप बेहद डरावना है। इस स्वरूप में माता के तीन नेत्र होतें हैं, जिनसे निकलने वाला तेज पापियों का संहार करता है।
महागौरी
आठवें दिन महागौरी को प्रसन्न करने के लिए गुलाबी रंग के कपड़े पहनें। महा गौरी का अर्थ है सुंदर और सर्वशक्तिशाली।
मां सिद्धिदात्री
नवरात्रि के आखिरी यानी नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इस दिन बैगनी रंग के कपड़े पहनने चाहिए। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।