- कंडों में गोबर, कपास और तिल डालें
- इस दिन सुंदरकांड का पाठ जरूर करें
- Keys : मुख्य बिंदु पीले फूल और पीले फल का प्रयोग करें
माघ मास के कृष्ण पक्ष पर षटतिला एकादशी होती है। कार्तिक मास के समान ही इस एकादशी का बेहद महत्व होता है। इस दिन तिल का प्रयोग और भगवान विष्णु की पूजा विशेष तरीके से की जाती है। एकादशी का दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है। षटतिला एकादशी के दिन भगवान का खास भोग होता है और पूजा के लिए खास तरह से कंडे बनाए जाते हैं।
इस एकादशी का व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है और सुख -समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए इस दिन पूजा विधि, पूजन सामग्री और पूजा के महत्व के बारे जरूर जान लेना चाहिए , ताकि व्रत पूरी तरह से सफल हो सके। षटतिला एकादशी करने के कई लाभ मिलते हैं। इस दिन काली गाय और तिल का दान मनुष्य को मोक्ष दिलाता है।
षटतिला एकादशी व्रत पारण मुहूर्त
- तारीख: 21 जनवरी, 2020
- मुहूर्त: सुबह 07:14:04 से 09:21:26 बजे तक
- अवधि: 2 घंटे 7
षटतिला एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
- षटतिला एकादशी के दिन स्नान कर दीपक जला कर भगवान विष्णु का स्मरण करें और व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद भगवान विष्णु को स्नान करा कर पीले वस्त्र पहनाएं।
- पीले फूल और फल चढ़ाएं। भोग के लिए तिल, उरद और चावल की खिचड़ी बनाएं।
- विधिवत पूजा के बाद आरती करें और श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें ये जीवन मे सुख-समृद्धि बढ़ाएगा।
- इस दिन सुन्दरकाण्ड का पाठ जरूर करें।
- पूरे दिन फलाहार करें और रात में जागरण करना चाहिए।
- इस दिन के लिए जो कंडा बनाएं उसमें गोबर, कपास, तिल जरूर मिलाएं और कंडे की संख्या 108 होनी चहिके। इस कंडों से एकादशी के दिन हवन करें।
- इसके बाद गरीबों अथवा ब्राह्मण को जो भी भोजन कराएं,उसमें तिल जरूर डालें।
षटतिला एकादशी का महत्व जाने अनजाने हुए पाप कर्मों से मुक्ति के लिए षटतिला एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि माघ मास की कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी कष्टों को हरने वाली होती है।