- नई चीजों को खरीदना लक्ष्मी के स्वागत के तौर पर देखा जाता है
- धनतेरस पर खरीदी गई संपत्ति कभी क्षय नहीं होती
- धनतेरस पर धन देने से होता है लक्ष्मी, कुबेर और धनवंतरि का अपमान
धनतेरस पर सोना-चांदी या पीतल खरीदने का योग होता है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन इन धातुओं को खरीदना शुभ मानाया गया है। अपनी श्रद्धानुसार लोग इस दिन कुछ न कुछ जरूर खरीदते हैं। भगवान धनवंतरी का रंग पीला होता है और उनकी शुभ धातु पीतल है। यही कारण है कि इस दिन पीतल या सोने की चीजों को खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन यदि कोई इस दिन धन की मांग करे तो शायद ही कोई ऐसा होगा जो उसकी इस मांग को पूरा कर दें।
इसके पीछे भी धार्मिक मान्यता है। इस दिन खरीदा गया सामान या धातु को माना जाता है कि इसकी कभी क्षति नहीं होती, इसलिए छोटी ही सी चीज, धनतेरस पर लोग कुछ न कुछ खरीदते हैं। पर धन देते क्यों नहीं आइए आइए जानें।
धनतेरस पर लक्ष्मी, कुबेर और धनवंतरी को जाता है पूजा
धनतेरस पर सौभाग्य और सुख और वैभव-संपदा की वृद्धि के साथ निरोगी काया के लिए मां लक्ष्मी और कुबेर और भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है। धनतेरस की शाम को इन तीनों देवताओं की पूजा के बाद यम का दीया निकाला जाता है।
इसलिए नहीं दिया जाता धनतेरस पर किसी को धन
पुराणों में माना गया है कि धनतेरस से दिवाली तक मां लक्ष्मी,कुबेर और भगवान धनवंतरी घर-घर जाते हैं। इस दिन यदि किसी ने उन्हें अपने घर बुलाने की जगह किसी और के घर भेज दिया तो उसके घर निर्धता और रोग का वास हो जाता है। यही कारण है कि धनतेरस से दीवाली के बीच कोई भी किसी को धन या धातु वाली चीजें नहीं देता। ऐसा करने से लक्ष्मी, कुबेर और भगवान धनवंतरी का अपमान होता है।
अक्षय होता है इस दिन खरीदा सामान
कहते हैं धनतेरस के दिन खरीदा गया सामान अक्षय होता है। यानी जिसका कभी क्षय न हो। ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी चीज 13 गुना फलदायी होती है। यही कारण है कि लोग इस दिन अपने लिए खास चीजें खरीदते हैं। जैसे सोना, चांदी या कोई अन्य धातु या शेयर में पैसा लगाते हैं या जमीन-जायदाद या वाहन खरीदते हैं, ताकि इस संपत्ति से और संपत्ति बनाई जा सके।
इसलिए खरीदा जाता है बर्तन
धनतेरस लक्ष्मी पूजा के दो दिन पहले पड़ता है इसीलिए नई चीजों को खरीदना लक्ष्मी के स्वागत के तौर पर देखा जाता है। धनतेरस पर लोग कुबेर पूजा भी करते हैं। धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरि का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था और हाथ में वह अपने साथ अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस वजह से धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की भी परंपरा है।
तो कोशिश करें कि धनतेरस से पहले या दिवाली के बाद ही धन या किसी को उपहार भेंट करें। ताकि आपके घर धन और सेहत की हानि न हो।