- आईटी मंत्रालय के नए नियमों का ट्विटर ने पालन अब तक नहीं किया है
- लोगों की मदद करने के लिए उसे भारत में अधिकारियों की नियुक्ति करनी है
- कानून मंत्री ने कहा है कि ट्विटर ने जानबूझकर नियमों का पालन नहीं किया है
नई दिल्ली : सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नए नियमों का अनुपालन न करने पर ट्विटर को मिला कानूनी 'सुरक्षा कवच' समाप्त हो गया है। अब उसके प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक एवं भड़काऊ कंटेंट पोस्ट होने पर वह पक्ष बनने लगी है। गाजियाबाद में एक मुस्लिम व्यक्ति के ऊपर हुए हमला मामले में ट्विटर पर गाजियाबाद और दिल्ली में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। यानि कि उसे अब आईपीसी की धाराओं का सामना करना होगा। भड़काऊ और उकसाने वाला कंटेंट पोस्ट करने के मामले में अब तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को पक्ष नहीं बनाया जाता था, उन्हें कानूनी संरक्षण मिला हुआ था लेकिन ट्विटर को मिली यह छूट अब समाप्त हो गई है। अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद ट्विटर ने कोई बयान नहीं दिया है। उसने कहा है कि वह अभी इसे 'परख' रहा है।
गाजियाबाद घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश
गाजियाबाद की घटना में एक मुस्लिम व्यक्ति को पीटे जाने का एक वीडियो ट्विटर एवं सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया कि मुस्लिम व्यक्ति ने 'जय श्री राम' का नारा नहीं लगाया इसलिए उसकी पिटाई की गई। पुलिस जांच में पता चला कि विवाद की जगह धर्म नहीं बल्कि ताबीज थी। बुजुर्ग से मारपीट करने वालों में स्थानीय मुस्लिम युवक भी शामिल थे। ट्विटर पर कुछ लोगों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। ट्विटर से पूछा गया है कि उसने इस वीडियो पर रोक लगाने के लिए कदम क्यों नहीं उठाया?
अनुपालन करने की समय सीमा 25 मई को समाप्त हुई
फेक न्यूज, बच्चों एवं महिलाओं के साथ उत्पीड़न, हिंसा भड़काने वाले कंटेंट पर रोक लगाने के उद्देश्य से 25 फरवरी 2021 को आईटी मंत्रालय नए नियम लेकर आया। इसके तहत 50 लाख से ज्यादा यूजर्स वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को नोडल ऑफिसर, रेजिडेंट ग्रिवांस ऑफिसर और चीफ कम्पलॉयंस ऑफिसर की नियुक्ति करनी है। सरकार का कहना है कि लोगों की शिकायतों के निपटारे के लिए इन अधिकारियों की नियुक्ति जरूरी है।
'सद्भावना' के तहत ट्विटर को मिला एक और मौका
शिकायत मिलने पर इन अधिकारियों को उस पर 24 घंटे में ध्यान देना होगा और 15 दिनों के भीतर कार्रवाई करनी होगी। सरकार के इस कदम को ट्विटर ने 'अभिव्यक्ति की आजादी' पर हमला बताया। अधिकारियों की नियुक्ति करने की समय सीमा 25 मई को समाप्त हो गई। इसके बाद सरकार ने 'सद्भावना' दिखाते हुए ट्विटर को एक और मौका दिया लेकिन वह नियमों का अनुपालन करने में आना-कानी करता रही।
'जानबूझकर नियमों का पालन नहीं कर रहा ट्विटर'
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि ट्विटर 'जानबूझकर' आईटी नियमों का अनुपालन नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में कारोबार करना है तो कंपनियों के यहां नियम-कानूनों का मानना होगा। अब यह नहीं चलेगा कि कंपनी व्यापार भारत में करे और उस पर कानून अमेरिका के लागू हों। कानून मंत्री ने कहा कि भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा। प्रसाद ने कहा कि 26 मई से प्रभाव में आए इंटरमेडियरी गाइडलाइन का ट्विटर ने पालन नहीं किया है। हालांकि, उसे नियमों का पालन करने के लिए कई मौके दिए गए।
फेक न्यूज पर रोक लगानी जरूरी-प्रसाद
प्रसाद ने पूछा कि इन दिनों फेक न्यूज की बाढ़ है। सोशल मीडिया में महिलाओं एवं बच्चों के उत्पीड़न की कई घटनाएं सामने आती हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि कोई महिला शिकायत लेकर आती है और कहती है कि कोई उसकी निजी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल कर रहा है तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह उसकी सुरक्षा एवं मदद करे। महिला को यह तो नहीं कहा जा सकता कि वह अपनी शिकायत लेकर अमेरिका जाए।
'अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा नहीं'
इसी तरह से देश में दंगा या हिंसा भड़काने के लिए यदि सरहद पार से कोई पोस्ट आता है तो सरकार यह जानना चाहेगी कि उस पोस्ट को देश में पहली बार किसने सर्कुलेट किया। यह जानकारी देने में ट्विटर को परेशानी नहीं होनी चाहिए। ट्विटर पर लोग सरकार की आलोचना करने के लिए स्वतंत्र हैं। सरकार अभिव्यक्ति की आजादी पर कोई पहरा नहीं लगा रही।