- बक्सर का एक क्वारंटीन सेंटर इन दिनों चर्चाओं में हैं, ऐसा यहां रह रहे युवक अनूप ओझा की वजह से
- अनूप के लिए एक दिन में 40 के आस पास रोटी , 10-20 प्लेट चावल खाना आम बात है
- वो 30-32 रोटी से नाश्ता करते हैं फिर एक दिन अकेले ही 80-85 लिट्टी खा जाते हैं
नई दिल्ली: आदमी पेट के लिए क्या नहीं करता, ये भूख ही होती है जो आदमी से कुछ भी करा लेती है, इसी रोटी की खातिर आदमी हाड़-तोड़ मेहनत करता है ताकि अपना और अपने परिवार का पेट पाल सके। मगर उस वक्त क्या हो जब किसी शख्स की भूख इतनी ज्यादा हो जाए कि लोग दांतों तले उंगलियां ही दबा ले, जी हां बिहार के बक्सर से ऐसा ही मामला सामने आया है जहां एक शख्स बक्सर जिले एक क्वारंटाइन सेंटर पर है वो बड़े आराम से एक दिन में 85 लिट्टी, 40 रोटी और 10-20 प्लेट खा लेता है।
दूसरे राज्यों से अपने गृहराज्य में आ रहे लोगों को क्वारंटीन सेंटरों में रखा जा रहा है कोरोना के खौफ की वजह से ऐसा किया जा रहा है बिहार में भी ऐसा ही हो रहा है, यहां पर खाने-पीने का भी इंतजाम सरकार की ओर से उन लोगों के लिए किया गया है।
बिहार के बक्सर का एक क्वारंटीन सेंटर इन दिनों चर्चाओं में हैं, ऐसा यूं है कि यहां रह रहे 21 वर्षीय अनूप ओझा ज्यादा खाने की वजह से चर्चा में हैं, 40 के आस पास रोटी , 10-20 प्लेट चावल खाना आम बात है ये राजस्थान से लौटे हैं, गांव वाले बताते हैं कि गांव में एक बार सौ समोसा खा चुके हैं।
अनूप खुद ही कहते हैं कि वो 30-32 रोटी से नाश्ता करते हैं फिर एक दिन अकेले ही 80-85 लिट्टी खा जाते हैं, तब भी पेट खाली-खाली लगता है। अधिकारी भी इसकी खुराक को देखकर हैरान और परेशान हैं और जब खाने की चीजें जल्दी-जल्दी खत्म होने लगी तो अधिकारियों ने इसका कारण पूछा तो अनूप के ज्यादा खाने की बात सामने आई।
उनके जाने की खबर से क्वारंटाइन सेंटर के रसोइये हैं बेहद खुश
अधिकारियों खुद उनसे मिलने भी आए थे, उन्होंने निर्देश दिया कि उनके खाने में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि अनूप सिर्फ ज्यादा खाते ही हैं बल्कि वो आम लोगों की तुलना में ज्यादा काम भी करते हैं बताते हैं कि वो अकेले ही 5-6 लोगों के बराबर काम कर देते हैं।
बक्सर जिले के अनूप ओझा को जिले के मझवारी गांव में बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है। क्वारंटाइन सेंटर में 14 दिन पूरे होने पर उन्हें घर भेजने की तैयारी हो रही है, उनके जाने की खबर से क्वारंटाइन सेंटर के रसोइये बेहद खुश हैं।