- यदि ज्ञान का सही समय पर उपयोग न हो तो वह बेकार है
- भोजन यदि समय पर न मिले तो वह स्वादहीन हो जाता है
- विवाह यदि हमउम्र से न हो तो दोनों में कुंठा होती है
चाणक्य ने अपनी नीतियों में यह स्पष्ट किया है कि यदि समय पर कोई काम नहीं हो तो उस काम का महत्व नहीं रहता। ठीक उसी तरह यदि समय पर किसी को कोई चीज न मिले तो वह चीज उस इंसान के लिए महत्वहीन हो जाती है। चाणक्य ने इसे विस्तार से समझाते हुए बताया है कि यदि समय पर किसी को कोई चीज मिल जाती है तो वह उसके लिए किसी कीमती चीज से कम नहीं होती, लेकिन वही चीज जब समय बीतने के बाद मिलती है तो उस चीज का महत्व उस इंसान के लिए नहीं रह जाता। अथवा ऐसा भी होता है कि समय पर जिस चीज की इच्छा हो वह न मिले तो मन में कुंठा और द्वेश का भाव पैदा होने लगता है।
इन चीजों का समय पर मिलना होता है कीमती
ज्ञान या शिक्षा का सही समय पर उपयोग
चाणक्य का कहना है कि यदि किसी के पास किसी चीज का ज्ञान हो या वह किसी चीज में परांगत हासिल किया हो, लेकिन समय पड़ने पर वह उसका उपयोग न करें तो वह चीज का महत्व नहीं रह जाता है। ज्ञान चाहे वह शास्त्र का हो या फिर शस्त्र का यदि अभ्यास न किया जाए तो वह ज्ञान बेकार हो जाता है। इसलिए शास्त्र और शस्त्र का ज्ञान समय पर ही काम और महत्व रखता है।
वृद्ध पुरुष के लिए नवयौवन
यदि किसी नवयुवती की शादी वृद्ध से हो जाए तो वह दोनों में से किसी के लिए सही नहीं होता। नवयुवती को अपना सौंदर्य बेकार लगता है और वृद्ध पुरुष को अपनी नवविवाहिता को देख खुद पर कोफ्त होता है। असल में ऐसा सौंदर्य बेकार जाता है। वृद्ध व्यक्ति के लिए नवयौवन आनंद नहीं देता है और नवयुवती के लिए भी ऐसा ही होता है। वैवाहिक जीवन में पति और पत्नी दोनों की आयु लगभग बराबर होनी चाहिए ताकि दोनों एक दूसरे के साथ अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकें। समय बीतने के बाद नवयुवती से विवाह वृद्ध के लिए पछतावा और नवयुवती के लिए कुंठा का कारण बनता है।
भोजन का समय पर न मिला
कहते हैं समय पर यदि भोजन न मिले तो भूख भी मर जाती है या किसी ने बहुत खा लिया हो तो उसके सामने 36 प्रकार के व्यंजन भी बेकार होते हैं। इसलिए भोजन का महत्व समय से बंधा हुआ है। अत्यधिक भूखा इंसान खाना यदि ढ़ेर सारा खा ले तो वह बीमार पउ सकता है वहीं अत्यधिक खाया हुआ इंसान लालच में खाना खा ले तो भी बीमार पड़ सकता है।
समारोह में गरीब का न्योता
किसी समरोह में गरीब व्यक्ति का आना या शामिल होना भी समय के महत्व पर निर्भर करता है। यदि समारोह में बहुत ही बड़े-बड़े लोग शामिल हों और उस वक्त कोई पुराने या साधारण कपड़ों में वहां शामिल हो जाए तो मेजबान को शर्मिदंगी होती है और अचानक से गरीब बड़े लोगों के बीच में आ जाए तो वह खुद शर्मिंदा महससू करता है। जीवन में काफी कुछ हालात के साथ बदलता रहता है।