भोपाल :मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार पर अब भी पेंच फंसा हुआ है और नेताओं के बीच सहमति न बनने से शपथ ग्रहण की तारीख तय नहीं हो पा रही है।दो दिन तक दिल्ली में रहने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार केा भोपाल लौट आए है। मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेश संगठन के दोनों प्रमुख पदाधिकारी अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा व प्रदेष महामंत्री संगठन सुहास भगत के साथ रविवार को राज्य सरकार के विमान से दिल्ली गए थे और संभावना इस बात की जताई जा रही थी कि मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार मंगलवार या बुधवार हो सकता है।
इससे पहले मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों से उन्हें अवगत कराया।
सूत्रों के मुताबिक चौहान जल्द ही अपना मंत्रिमंडल विस्तार करने वाले हैं लेकिन इस बहुप्रतीक्षित विस्तार की तारीख को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।चौहान इस सिलसिले में केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा के लिए रविवार को दिल्ली पहुंचे थे।
चौहान ने भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, संगठन महामंत्री बीएल संतोष, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित पार्टी के अन्य नेताओं से मुलाकात की।प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद चौहान ने एक बार फिर नड्डा से पार्टी मुख्यालय में मुलाकात की। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संभावित मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए दोनों नेताओं ने चर्चा की।नड्डा से मुलाकात के बाद चौहान पत्रकारों से बात किए बगैर मध्य प्रदेश भवन चले गए।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, जिन्हें मध्यप्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, वह भी मंगलवार को भोपाल पहुंच सकती है। सोमवार को ही आनंदीबेन का भोपाल आने का कार्यक्रम था लेकिन वह स्थगित हो गया। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का लखनऊ में एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल में 20 से 25 लोगों को शामिल किया जा सकता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मार्च माह में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए नौ पूर्व विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच मुख्यमंत्री चौहान एक माह तक अकेले ही सरकार चलाते रहे। बाद में अप्रैल माह में उन्होंने पांच मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया था।मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों के राज्य विधानसभा से त्यागपत्र देने से कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार गिर गयी थी और चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा सरकार बनी थी। वे रिकार्ड चौथी बार प्रदेश के मुखिया बने हैं।कांग्रेस के अधिकांश बागी विधायक, जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं।
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