नई दिल्ली : लॉकडाउन के बीच घरेलू उड़ान सेवा सोमवार (25 मई) से शुरू हो चुकी है। भारत के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र और एयर इंडिया द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई हो रही है। अगले 10 दिनों के लिए मिडिल सीटों की बुकिंग के साथ एयर इंडिया को नन शेड्यूल विदेशी उड़ानों को संचालित करने की अनुमति दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) और एयर इंडिया इस मामले की पेंडेंसी के दौरान किसी भी मानदंड को बदलने के लिए स्वतंत्र हैं। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई ने कहा कि हम नागरिकों के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट 2 जून को मामले की सुनवाई करेगा।
सुरक्षा कदमों को बंबई हाई कोर्ट में दी गई थी अर्जी
उधर बंबई हाई कोर्ट ने एयर इंडिया के एक पायलट की याचिका पर एयर इंडिया और डीजीसीए से जवाब मांगा था। याचिका में दावा किया गया था कि विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने में एयरलाइन कोरोना वायरस के संबंध में सुरक्षा कदमों का पालन नहीं कर रही है। पायलट देवेन कनानी ने अपनी याचिका में दावा किया कि भारत सरकार ने 23 मार्च 2020 को एक सर्कुलर जारी कर ग्लोबल महामारी के कारण विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाते हुए कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कुछ शर्तें तय की थीं।
मिडिल सीट खाली रखने वाली शर्त का नहीं हो रहा है पालन
पायलट देवेन कनानी ने याचिका में कहा था कि दो यात्रियों के बीच वाली सीट (middle seats) खाली रखने से जुड़ी शर्त का एयर इंडिया पालन नहीं कर रही है। कनानी ने सैन फ्रांसिस्को और मुंबई के बीच चल रहे एयर इंडिया के विमान की तस्वीरें पेश की जिसमें सभी सीटें भरी हुई थीं। इस पर एयर इंडिया के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने याचिका का विरोध किया और हाईकोर्ट को बताया कि 23 मार्च के सर्कुलर के स्थान पर भारत सरकार ने 25 मई से घरेलू विमानों का संचालन बहाल करने की अनुमति देते हुए 22 मई 2020 को एक नया सर्कुल जारी किया।
एयर इंडिया के वकील किया स्पष्ट
चंद्रचूड़ ने कोर्ट को बताया कि नए सर्कुलर में यह नहीं कहा गया है कि बीच वाली सीट को खाली रखने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि विदेशों से यात्रियों को भारत लाते हुए कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए सभी आवश्यक एहतियाती कदम उठाए गए। जस्टिस आर डी धनुका और जस्टिस अभय आहूजा की खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि 22 मई के सर्कुलर पर सरसरी तौर पर नजर मारने से पता चलता है कि यह केवल घरेलू विमानों के संचालन पर लागू है न कि अंतरराष्ट्रीय विमानों के संचालन पर।
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