भारत की अर्थव्यवस्था होगी मजबूत! 'कोरोना वायरस ने दिया दुनिया की अगुवाई का मौका'

Opportunity for India : कोरोना वायरस संकट ने देश की अर्थव्यवस्था को संकट में ला दिया है लेकिन दुनिया में आगे निकलने से लिए अवसर भी दिया है जानिए क्या कहते हैं नीति आयोग के सदस्य।

Corona virus crisis gave an opportunity for India to become self-reliant, leading the world: Niti Aayog Member
कोरोना वायरस प्रकोप ने भारत की अर्थव्यवस्था को मौका दिया  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • नीति आयोग के एक सदस्य वी के सारस्वत ने कहा कि कोरोना वायरस संकट ने देश को आत्मनिर्भर बनने और दुनिया की अगुवाई करने का अवसर दिया है
  • उन्होंने कहा कि इस संकट ने सिखाया है कि हमें सप्लाई चेन के लिए एक देश पर निर्भर नहीं रहना चहिए बल्कि सभी देशों के साथ व्यापार करना चाहिए
  • चीन से अन्य देशों की कंपनियां अब बाहर निकल रही हैं। हम इसका लाभ उठाना चाहिए

नई दिल्ली : कोरोना वायरस ने दुनिया को तबाह कर दिया। करीब 39 लाख 80 हजार लोग संक्रमित हो गए है जबकि दो लाख 75 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इतना ही नहीं इस महामारी ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को भी तहस नहस कर दिया है। इससे वायरस ने हमारे देश की अर्थव्यवस्था को भी पटरी से उतार दिया है। लेकिन कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमारी अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर लौट सकती है। विकास दर तेजी से बढ़ेगी। नीति आयोग के एक सदस्य वी के सारस्वत ने भी इस तरह की बात कही है। उनका कहना है कि कोरोना वायरस संकट ने देश को आत्मनिर्भर बनने और दुनिया की अगुवाई करने का अवसर दिया है। इसके लिए हमें दुनिया के अन्य देशों की जरूरतों को ध्यान में रखकर उत्पादन का दायरा बढ़ाने की जरूरत है। 

सारस्वत का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण जो आर्थिक प्रभाव पड़ा है, वह चिंताजनक है। हर क्षेत्र में नरमी है। उन्होंने कहा कि इस संकट से दुनिया का लगभग हर देश प्रभावित है। ऐसे में यह हमारे लिए एक अवसर है और इसके लिए हमें दुनिया के अन्य देशों की जरूरतों को ध्यान में रखकर उत्पादन का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस संकट ने सिखाया है कि हमें सप्लाई चेन के लिए एक देश पर निर्भर नहीं रहना चहिए बल्कि सभी देशों के साथ व्यापार करना चाहिए। ज्यादा-से-ज्यादा सामान यहां बनाए जाने की जरूरत है। इसके लिए हमें मेक इन इंडिया में भी बदलाव लाना होगा। हमें इसके तहत देश में बन सकने वाले सामानों को संरक्षण देने की जरूरत है। इस प्रकार के कदम से उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

चीन से निकलने वाली कंपनियों बुलाने की जरूरत
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन से अन्य देशों की कंपनियां अब बाहर निकल रही हैं। हम इसका लाभ उठाना चाहिए। हमें अपनी नीतियां ऐसी बनानी चाहिए कि जो कंपनियां वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया या बांग्लादेश जा रही हैं, वे यहां आने के लिए तत्पर हों। इसके लिए उन्हें सस्ती जमीन, नियमन, कामकाज की सुगमता आदि उपलब्ध कराने की जरूरत है। साथ ही बिजली, परिवहन जैसी लागतों में भी कमी करने की जरूरत है। इससे ये कंपनियां यहां आने के लिए प्रोत्साहित होंगी और देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी।

विशेष पैकेज और सस्ता लॉन्ग टर्म लोन मिले
बढ़ती बेरोजगारी और कई कंपनियों में वेतन कटौती से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कंपनियों खासकर छोटी इकाइयों का कामकाज कोरोना वायरस संकट के कारण लंबे समय से बंद है। इससे रोजगार पर असर पड़ा है। अब रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए जरूरी है कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों एवं छोटे कारोबारी अपना कामकाज शुरू करें। लेकिन इसमें समस्या परिचालन खर्च की है यानी कारखाना शुरू करने तथा वेतन देने के लिए जो पैसा होना चाहिए, नहीं हैं। सारस्वत ने कहा कि ऐसे में आवश्यक है कि सरकार इनके लिए विशेष पैकेज दे ताकि बैंकों से इन्हें सस्ता लॉन्ग टर्म लोन मिल सके और वे अपना कामकाज शुरू कर सकें। इससे फिर से लोगों को रोजगार मिलेगा और आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। यह सही है कि सरकार के कहने के बाद भी कई कारोबारी हैं जिन्होंने अपने कर्मचारियों को पैसा नहीं दिया है। जैसे ही कर्मचारी लौटते हैं और काम शुरू होता है, उन्हें पैसा देना शुरू कर देना चाहिए।

हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी
कोरोना वायरस संकट के बीच पर्यावरण स्तर में सुधार से जुड़े एक सवाल के जवाब में सारस्वत ने कहा कि इस संकट ने सिखाया है कि हम जरूरत के हिसाब से ही रहें, अनुशासन में रहें। ओजोन परत में छिद्र पिछले डेढ़-दो महीने ठीक हो गया है। इससे साफ है कि प्रदूषण का कारण बेलगाम औद्योगिक गतिविधियां, वाहन, उपभोक्तावाद तथा अन्य चीजें हैं। इस समय वायु गुणवत्ता दिल्ली की बेहतर है। कोरोना वायरस संकट ने हमें प्रकृति के साथ तालमेल में रहना सिखाया है। हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी। लोग पैदल चलते थे, अब चलना ही नहीं चाहते। उपभोक्तावाद कम करना होगा। हिंदुस्तानी संस्कृति भी यही कहती है। उतना ही खाना और सामानों का उपयोग करना चाहिए जितनी शरीर को जरूरत हो।

अनुशासन के साथ आगे बढ़ना होगा
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह समस्या कोई जल्दी समाप्त नहीं हो रही। जबतक कोई दवा या टीका नहीं बन जाता है या हमारी इम्यून सिस्टम इस वायरस को झेलने में मजबूत नहीं हो जाती, तबतक इस संकट से छुटकारा नहीं मिलेगा। ऐसे में जान और जहान दोनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए उद्योग के साथ सभी को अनुशासन के साथ आगे बढ़ना होगा और जीवनचर्या उसी के हिसाब से रखनी होगी।

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