नई दिल्ली: कोविड 19 महामारी के बीच जो लोग घर (WFH) से काम शुरू होने के बाद अपने-अपने गृह नगरों में या कहें कि छोटे शहरों में चले गए हैं, उन्हें आगे जाकर वेतन में कटौती का सामना करना पड़ सकता है। सर्विस सेक्टर कंपनियों ने उन कर्मचारियों के लिए वेतन कटौती के विकल्प का मूल्यांकन करना शुरू कर दिया है, जो वर्क फॉर्म होम के तहत महानगरों और टियर-1 शहरों से छोटे शहरों में जाने का विकल्प चुनते हैं।
मुख्य रूप से आईटी/आईटीईएस, वित्तीय सेवाओं और पेशेवर सेवाओं के कर्मचारी को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि श्रम मंत्रालय ने सर्विस सेक्टर के लिए वर्क फ्रॉम होम को औपचारिक रूप देने के ड्रॉफ्ट पर विचार मांगे थे।
'इकोनॉमिक्ट टाइम्स' की रिपोर्ट में मानव संसाधन विशेषज्ञों और कंस्लटेंसी कंपनियों का हवाला देते हुए उल्लेख किया है कि नए नियमों के तहत घर से काम करने वाले कर्मचारियों के लिए वेतन परिवर्तन की संभावना है। अगर जब नियम बन जाएंगे तब कंपनियां प्रति छोटे शहर के WFH कर्मचारी से 20-25% लागत बचा सकती हैं।
भत्तों में हो सकता है बदलाव
जो लोग WFH जारी रखते हैं, लेकिन अपने मौजूदा स्थान को नहीं छोड़ रहे हैं, उन्हें वेतन में किसी भी कमी के बिना भत्तों में बदलाव दिखाई दे सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, कंपनियां अपने कर्मचारियों को वाईफाई और अन्य बुनियादी सुविधाओं की लागत सहित नए भत्ते देना शुरू कर सकती हैं और परिवहन जैसे भत्ते को हटा सकती हैं।
लोगों को रास आ रहा WFH
पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बाद से ही ज्यादातर कंपनियों के कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं। बाद में लॉकडाउन हट गया और कई प्रकार की रियायतें दी गईं, लेकिन कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को दफ्तर नहीं बुलाया और वर्क फ्रॉम होम जारी रखा। कई लोगों का अनुभव है कि वो इसे जारी रखना चाहते हैं और वो अपने-अपने गृह नगर भी लौट गए हैं।
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