नई दिल्ली: मोदी सरकार प्राकृतिक गैस पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए 24,462 करोड़ रुपये जुटाने का प्लान कर रही है। नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत सरकार, अगले 3 साल में गैस पाइपलाइन नेटवर्क का 25 फीसदी हिस्सा मोनेटाइज कर सकती है। अगर, सरकार ऐसा करती है तो करीब 8154 किलोमीटर नेटवर्क का मोनोटाइजेशन किया जाएगा।
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा का उपभोक्ता है। भारत अपनी कुल ऊर्जा मांग का करीब 6 फीसदी प्राकृतिक गैस से पूरा करता है। भारत सरकार का लक्ष्य है कि इस हिस्सेदारी को 2030 तक 15 फीसदी कर दिया जाय। देश में इस समय 16,900 किलोमीटर, प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का ऑपरेशनल नेटवर्क है। और 18363 किलोमीटर नेटवर्क या तो बन रहा है या फिर स्वीकृत किया जा चुका है।
इन एसेट्स को किया जाएगा मोनेटाइज
नीति आयोग के प्लान के अनुसार 2022-25 के दौरान कुल 8154 किलोमीटर नेटवर्क की गैस पाइपलाइन को मोनेटाइज किया जा सकता है। जिसके तहत 7928 किलोमीटर की मौजूदा पाइपलाइन और शेष निर्माणधीन पाइपललाइन को मोनेटाइज किया जाएगा। इसके तहत वित्त वर्ष 2022 में दाभोल-बंगलुरू पाइपलाइन और दाहेज-उरन-पनवेल-दाभोल पाइपलाइन को मोनेटाइज करने की योजना है। इसके बाद 2023-25 में 5925 किलोमीटर नेटवर्क वाले पाइपलाइन को मोनेटाइज किया जा सकता है। नीति आयोग को उम्मीद है कि इसके जरिए 2025 तक 24462 करोड़ रुपये जुटाए जा सकेंगे। मोनेटाइजेशन के लिए कैरी ऑपरेट ट्रांसफर कंसेशन मॉडल और इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट का मॉडल अपनाया जाने की सिफारिश नीति आयोग ने की है।
क्या है नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन
सरकार रेलवे, सड़क, बिजली, हवाई अड्डे, स्टेडियम, ट्रांसमिशन लाइन सहित दूसरी सरकारी संपत्तियों को प्राइवेट सेक्टर को सौंपेगी। हालांकि इसके तहत मालिकाना हक सरकार के पास ही होगा और जमीन को नहीं बेचा जाएगा। नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के जरिए अगले 4 साल में 6 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। जिसके जरिए देश में इंफ्रास्ट्रक्टर का विकास किया जाएगा। यह संपत्तियां 2021-25 के दौरान मोनेटाइज की जाएंगी।
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