कोरोना वायरस की वजह देश के उद्योगों-धंधों के राजस्व में गिरावट आई। जिसके कारण ठेकेदारी और फ्रीलांस काम करने वाले, नौकरी करने वाले करोड़ों लोगों का रोजगार छिन गया। लॉकडाउन के दौरान इनकम घटने से बहुत से लोगों को वित्तीय प्रबंधन में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। उद्योगों की कब स्थिति सुधरेगी। लोगों को फिर नौकरियां मिलने लगेगी। अभी इस पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। हलांकि सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन फैकेज का ऐलान किया है। जबकि स्थिति नहीं सुधरती है तब तक लोगों को खुद के बजट को नए सिरे बनाना पड़ेगा। क्योंकि लोग अपनी आय के हिसाब से होम लोन, कार लोन और अन्य तरह के लोन ले लेते हैं। अब जबकि इनकम खत्म हो गई है तो इस हालात में फाइनेंसियल मैनेजेमेंट प्रैक्टिस में बदलाव करना पड़ेगा। अगर आप में से कोई अभी तक आर्थिक रूप से प्रभावित नहीं हुए हैं तो भी भविष्य के लिए विवेकपूर्ण प्लान जरूर बनाएं।
अपने फाइनेंस का आकलन करेंः- इस बात का ठोस अंदाजा लगाएं कि आप किस मद में कितना खर्च कर रहे हैं, और क्या ये सभी खर्च बिल्कुल जरूरी हैं या टालने योग्य हैं। अब आपके सभी खर्चों का लेखा जोखा तैयार करने का समय है। अपने खर्चों बहुत आवश्यक, टालने योग्य और अनावश्यक में विभाजित करें। लॉकडाउन ने लोगों को अपने कुछ खर्चों जैसे दैनिक यात्रा, ईंधन की लागत, बहुत से अनावश्यक खपत को बचाने में मदद की है। इसलिए, अपनी सभी बचत को भी ध्यान में रखें और अपनी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करें।
गैर जरूरी खर्चों में कटौती करें :- अनावश्यक खर्चों में कटौती करके शुरुआत करें और अपने टालने योग्य खर्चों को भी कम करें। यदि आपके पास ई-पत्रिकाओं, ऑनलाइन अखबारों, ओटीटी प्लेटफार्मों, वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाओं, सेट-टॉप बॉक्स सब्सक्रिप्शन और ऐसे अन्य बहुत खर्च हैं तो उन्हें तुरंत बंद कर दें। आपके पास सामुदायिक क्लब, होटल, रेस्तरां या जिम में जाने के लिए सदस्यता है तो उनका रेन्युअल नहीं कराएं। ऐसे सभी तरीके खोजें जहां आप पैसे बचा सकते हैं। कोई भी बचत एक अच्छी बचत है। किसी भी बड़े खर्च को लेकर फैसला लेने से बचें।
लायबलिटी को कम करने का प्रयास करें:- लॉकडाउन के दौरान आरबीआई ने बैंकों से छह महीने के लिए लोन मोरेटोरियम देने को कहा है। कई बैंकों ने लोन लेने वालों को इस सुविधा की पेशकश भी की। हालांकि मोरेटोरियम का लाभ लेने के बाद भी आपको लोन चुकाना पड़ेगा। इस दौरान आपके लोन चुकौती देनदारियों को एडजस्टिंग करने की लॉन्ग टर्म योजना महत्वपूर्ण है। अगर आपके पास पैसे कम हो गए हैं तो ईएमआई राशि को कम करने में बैंकों की सहायता लेना बेहतर है। आप दो मौजूदा लोन के विलय के विकल्प पर विचार कर सकते हैं। अगर आपके पास पैस हैं तो ईएमआई चुकाना ही बेहतर है क्योंकि मोरेटोरियम लेने से लायबलिटी बढ़ जाएगी। फाइनेंस से जुडे़ फैसले लेने के लिए आप अपने रिलेशनशिप मैनेजर से संपर्क कर सकते हैं और उनकी सलाह ले सकते हैं।
अपने निवेश का मूल्यांकन करें:- आपके पैसे कहां निवेश किए गए हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। कोरोना संकट काल में इक्विटी, म्यूचुअल फंड आदि में निवेश नुकसान का सामना कर रहे हैं? इसमें निवेश पर विचार करने की जरूरत है। सोने में निवेश करने या पीपीएफ और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे स्कीम्स में निवेश का विचार कर सकते हैं यहां जोखिम कम है।हालांकि अगर आपकी आय का प्रवाह अप्रभावित रहता है, तो आपको अपने लॉन्ग टर्म वित्तीय निवेशों को जारी रखना चाहिए।
आकस्मिक फंड बनाएं:- एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले समय भविष्य के लिए अस्थिर रहने की संभावना है। इसलिए, भले ही आप अभी तक वित्तीय संकट से प्रभावित नहीं हुए हैं, लेकिन इसके लिए तैयारी करना जरूरी है। एक आकस्मिक फंड बनाएं जो वित्तीय आपातकाल के हमलों के मामले में आपकी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद कर सकता है। आप ऐसा कुछ फिक्स्ड डिपॉजिट या अन्य निवेशों के बारे में विचार कर सकते हैं। इमजरेंसी स्थिति से उत्पन्न होने वाले संकट निकट भविष्य में आय का कोई नुकसान होने पर यह इमरजेंसी फंड आपको मुश्किल घड़ी में काम आएगा।
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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