नई दिल्ली : म्युचुअल फंड में निवेश एक अच्छा विकल्प माना जाता है। अच्छे रिटर्न के कारण यह कई निवेशकों की पसंद होता है। इसमें अच्छा रिटर्न मिलता है तो कुछ जोखिम भी होते हैं। म्युचुअल फंड में निवेश को लेकर किसी खास तरह की विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन इसका यह भी मतलब यह नहीं है कि आपको म्यूचुअल फंड में किसी जानकारी बगैर ही निवेश करना चाहिए।
आप ऑनलाइन तरीके से भी कर सकते हैं। इसके लिए बस आपको कुछ बातों को ध्यान में रखने की जरूरत है। म्युचुअल फंड में निवेश जोखिमभरा भी हो सकता है, जिसे पहले से समझ लेना जरूरी होता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आप सीधे फंड हाउस की वेबसाइट पर जा सकते हैं। यहां आपको KYC (Know Your Customer) के अनुपालन के लिए अपना eKYC पूरा करना होगा। आप अपना आधार और पैन विवरण जमा करके अपना ईकेवाईसी कर सकते हैं। इसके बाद आप अपनी पसंद की योजना में निवेश कर सकेंगे। इसके लिए आपको एक गेस्ट के रूप में म्यूचुअल फंड में लॉगिन करना होगा या खुद को पंजीकृत करना होगा। आप म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले केवाईसी पंजीकरण एजेंसी (KRA) में भी अपना केवाईसी पूरा करवा सकते हैं।
विशेषज्ञ ज्यादातर व्यवस्थित निवेश योजना (SIP) के जरिये म्युचुअल फंड योजनाओं में निवेश को एक बेहतर विकल्प बताते हैं। खासतौर पर जो शुरुआत कर रहे हैं, उनके लिए इसे निवेश का अच्छा विकल्प समझा जाता है। इसके माध्यम से आप अपनी पसंद की म्यूचुअल फंड स्कीम में एक निश्चित राशि नियमित रूप से निवेश कर सकेंगे। आप किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम में SIP के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये के रूप में भी निवेश कर सकते हैं।
आप डिमैट खाते के माध्यम से भी किसी डिपॉजिटरी प्रतिभागी के जरिये या अपने स्टॉकब्रोकर के साथ म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। डीमैट खातों के जरिये म्यूचुअल फंड योजनाओं को उसी तरह खरीदा व बेचा जा सकता है, जैसे कि शेयर में किया जा सकता है। डीमैट खाते में स्टॉक, म्यूचुअल फंड के साथ-साथ अन्य प्रतिभूतियां भी हो सकती हैं। डीमैट और ट्रेडिंग खाते के जरिये आप म्यूचुअल फंड योजनाओं की यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं।
किसी के कहने भर से आंखें मूंदकर निवेश करना बड़ी गलती हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप निवेश से मिलने वाले रिटर्न के साथ-साथ उसके जोखिम के बारे में भी अच्छी तरह समझ लें। इस तरह का सवाल भी अक्सर आता है कि म्यूचुअल फंड में एकमुश्त राशि का निवेश बेहतर होगा या एसआईपी के जरिये निवेश बेहतर है? इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आपको कम जोखिम वाली निवेश योजनाओं की तलाश है तो डेट स्कीम में एकमुश्त रकम निवेश की जा सकती है। हालांकि इसमें रिटर्न भी कम होता है। वहीं, अगर आप SIP के जरिये निवेश करते हैं तो इसमें अस्थिरता का जोखिम कम हो सकता है। दीर्घकालिक अवधि में इसमें आपको बेहतर रिटर्न मिल सकता है।
अलग-अलग म्यूचुअल फंड स्कीम में अलग-अलग शुल्क लग सकते हैं, जैसे- एक्सपेंस रेशियो, एग्जिट लोड आदि। वे टैक्स ट्रीटमेंट के मामले में भी अलग हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप तीन साल से पहले किसी डेट फंड से बाहर निकलते हैं, तो किसी भी लाभ को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (STCG) माना जाता है, जबकि तीन साल के बाद के लाभ को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) कहा जाता है। डेट फंड के तहत STCG पर निवेशक के लिए लागू स्लैब दर से कर लगाया जाता है, जबकि LTCG पर 20 प्रतिशत की दर (इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ) लगाई जाती है। इसी तरह, इक्विटी म्यूचुअल फंड में कर की गणना अलग है। इक्विटी-लिंक्ड बचत योजनाओं (ELSS) नाम की कर बचत निधि है, जो तीन साल की लॉक-इन अवधि की होती है। फिर म्यूचुअल फंड में एक विकल्प यह भी होता है कि आप लाभांश को फिर से निवेश कर सकते हैं। साथ ही आप नियमित लाभांश भुगतान के लिए भी विकल्प चुन सकते हैं।
इससे पहले कि आप अपनी मेहनत से कमाए अपने पैसे का निवेश म्यूचुअल फंड में करें, आप इससे जुड़ी कर संबंधी बातों, शुल्क, फंड के प्रकार, लिक्विडिटी जैसी बातों को समझ लें।
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