Gratuity: ग्रेच्युटी के लिए अब 5 साल तक नहीं करना पड़ेगा इंतजार, संसद से बिल पास, जानिए डिटेल

संसद से तीन श्रम सुधार बिल पास होने के बाद अब कमर्चारियों को ग्रेच्युटी के लिए किसी एक कंपनी में 5 साल तक काम करने की जरूरत नहीं होगी।

No longer will have to wait for gratuity for 5 years, pass the bill by Parliament, know details
gratuity eligibility new rule: ग्रेच्युटी को लेकर बड़ा सुधार 
मुख्य बातें
  • संसद से तीन श्रम सुधार बिल पास हो गया है
  • ग्रेच्युटी लेने के लिए 5 साल की समय सीमा भी खत्म हो गई
  • कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी करने वाले कर्मचारी भी ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा

नई दिल्ली : मजदूरों से जुड़े तीन श्रम सुधार बिल बुधवार (23 सितंबर) को संसद के दोनों सदनों ने पास कर दिया है। लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा ने बुधवार को लाइवलीहूड सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को विपक्ष के बायकॉट के बावजूद ध्वनिमत से पास कर दिया गया। संसद से मंजूरी के बाद अब ग्रेच्युटी लेने के लिए 5 साल की समय सीमा भी खत्म हो गई।

इससे पहले प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले लोगों ग्रेच्युटी के हकदार होने के लिए कम से कम पांच साल तक एक ही कंपनी में काम करते रहना जरूरी होता था। पांच साल से पहले नौकरी छोड़ने या निकाले जाने पर उन्हें ग्रेच्युटी का कोई लाभ नहीं मिल पाता था। लेकिन अब कानून बन जाने से पांच साल तक की बाध्यता समाप्त हो गई है। अब एक साल तक काम करने पर ग्रेच्युटी मिल जाएगी यानी आपको कंपनी हर साल ग्रेच्युटी मिलेगी।

इतना ही नहीं जिन लोगों को फिक्सड टर्म यानी कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नौकरी मिलेगी। उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी मिलेगी। कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी करने वाले कर्मचारी भी ग्रेच्युटी का लाभ ले सकेंगे। चाहे कॉन्ट्रैक्ट कितने भी दिन का क्यों न हो। ग्रेच्युटी कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारियों को दी जाती है। इसकी अधिकतम सीमा 20 लाख रुपए होती है।

 

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने ने कहा श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है।  उन्होंने कहा कि ये बिल कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेंगे और भविष्य निधि संगठन तथा कर्मचारी राज्य निगम के दायरे में विस्तार करके श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेंगे। सरकार ने 29 से अधिक श्रम कानूनों को चार संहिताओं में मिला दिया था और उनमें से एक संहिता (मजदूरी संहिता विधेयक, 2019) पहले ही पास हो चुकी है।
 

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