नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को म्यूचुअल फंडों (mutual funds) के लिए 50,000 करोड़ रुपए की स्पेशल नकदी सुविधा की घोषणा की। जिसमें सेगमेंट में लिक्वीडिटी के दबाव को कम करने और निवेशकों में विश्वास बढ़ाने के लिए कहा गया था। केंद्रीय बैंक ने कोरोनो वायरस (COVID-19) महामारी की प्रतिक्रिया में पूंजी बाजारों में अस्थिरता का हवाला दिया और जो म्यूचुअल फंड (MF) पर लिक्वीडिटी का दबाव डाला है। हाल में, फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड कंपनी के अपनी 6 बांड योजनाओं को बंद करने की घोषणा की थी। ऐसे में रिजर्व बैंक की यह घोषणा काफी अहम है। म्यूचुअल फंड के लिए स्पेशल कैश सुविधा की मौजूदा योजना सोमवार से 11 मई 2020 तक उपलब्ध होगी।
राहत देने की घोषणा के बाद RBI ने कहा...
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि इस बढ़ते दबाव के चलते म्यूचुअल फंड कंपनियों को कुछ बांड योजनाओं को बंद करना पड़ा है। इसके और नुकसानदायक प्रभाव भी हो सकते हैं। हालांकि, यह दबाव मुख्य तौर पर ज्यादा जोखिम वाले बांड म्यूचुअल फंड तक ही सीमित है जबकि अन्य कंपनियों/योजनाओं की नकदी स्थिति सामान्य है। बयान में कहा गया है कि म्यूचुअल फंड कंपनियों पर नकदी के दबाव को कम करने के लिए उन्हें 50,000 करोड़ रुपए की स्पेशल नकदी सुविधा (ऋण सहायता) उपलब्ध कराने का निर्णय किया गया है।
पहले भी दी गई थी सहायता
इससे पहले जुलाई 2013 में रिजर्व बैंक ने म्यूचुअल फंड कंपनियों को लगभग इसी तरह की कैश सहायता उपलब्ध कराई थी। तब केंद्रीय बैंक ने म्यूचुअल फंड कंपनियों की कैश जरूरत को पूरा करने के लिए बैंकों को 25,000 करोड़ रुपए की स्पेशल सुविधा देने के दिशानिर्देश दिए थे। इसके अलावा अक्टूबर 2008 में लेहमैन ब्रदर्स संकट के दौरान भी म्यूचुअल फंड कंपनियों को विशेष तौर पर अतिरिक्त कैश सहायता दी गई थी।
90 दिन की अवधि के लिए फंड उपलब्ध
इस योजना के तहत आरबीआई 90 दिन की अवधि के लिए तय रेपो दर पर बैंकों को फंड उपलब्ध कराएगा। बैंक इसके लिए सोमवार से शुक्रवार के बीच किसी भी दिन अपने आवेदन रिजर्व बैंक के पास जमा करा सकते हैं। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि वह बाजार परिस्थितियों को देखते हुए योजना की अवधि और राशि की समीक्षा करेगा। उसने कहा कि इस योजना के तहत हासिल किए जाने वाले कोष का इस्तेमाल बैंक केवल म्यूचुअल फंड कंपनियों की कैश जरूरतों को पूरा करने के लिए कर सकेंगे। वह उनके लोन की अवधि बढ़ाने जैसे विकल्प अपना सकते हैं।
फ्रेंकलिन टेम्पलटन ने 6 योजनाओं बंद करने की घोषणा की
आरबीआई की यह घोषणा फ्रेंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड के 6 योजनाओं को बंद करने की घोषणा के कुछ दिन बाद की है। यह कंपनी 25 सालों से भारत में अपना परिचालन कर रही है। कंपनी ने शुक्रवार को फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्यूरल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपॉर्चुनिटीज फंड जैसी 6 योजनाएं बंद करने की घोषणा की थी।
आरबीआई ने कहा कि एसएलएफ-एमएफ योजना के तहत मिलने वाले फंड का इस्तेमाल बैंकों द्वारा एक्सक्लूसिव तौर पर म्यूचुअल फंड की लिक्वीडिटी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा, जो कि निवेश-ग्रेड कॉरपोरेट बॉन्ड, वाणिज्यिक पत्र (सीपी), डिबेंचर के संपार्श्विक के खिलाफ एकमुश्त खरीद या पुनर्खरीद का कार्य करता है। म्यूचुअल फंड के पास डिपोजिट के डिवेंचर और सर्टिफिकेट होते हैं।
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