नई दिल्ली : लॉकडाउन की 54 दिनों की अवधि के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के गृह मंत्रालय के आदेश की चुनौती देने वाली अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। अर्जियों पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नियोक्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करने का उसका फैसला पूर्ववत रहेगा। कोर्ट ने कहा कि नियोक्ता और कर्मचारी बातचीत के जरिए वेतन के मसले को सुलझाएं। कोर्ट ने राज्य सरकारों के श्रम विभाग को नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच बातचीत की पहल कराने का आदेश दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को एक विस्तृत हलफनामा जुलाई के अंतिम सप्ताह तक सौंपने का निर्देश दिया है।
नियोक्ता के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी
मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण ने कहा, 'हमने पहले ही नियोक्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करने का आदेश पारित कर चुके हैं। यह आदेश पूर्ववत रहेगा। इस मसले पर केंद्र सरकार एक विस्तृत हलफनामा जुलाई के अंतिम सप्ताह में दाखिल करे। साथ ही राज्य सरकारों के श्रम विभाग कर्मचारियों और नियोक्ताओं की बातचीत के लिए पहल कराना सुनिश्चित करें।
लॉकडाउन की वजह से उत्पादन हुआ है प्रभावित
इससे पहले शीर्ष अदालत ने लॉकडाउन के दौरान उद्योगों को अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के उसके फैसले को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वे ऐसी निजी कंपनियों जो अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन दे पाने में सक्षम नहीं हैं, उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे। बता दें कि लॉकडाउन की वजह से उद्योगों एवं निजी कंपनियों के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है। कई कंपनियों का कहना है कि औद्योगिक गतिविधियां ठप पड़ जाने की वजह से वह अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन दे पाने की स्थिति में नहीं है।
कैप्टन अमरिंदर ने विरोध किया
गृह मंत्रालय ने अपने एक निर्देश में निजी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने की बात कही थी। केंद्र के इस फैसले का विरोद पंजाब सहित कई राज्यों ने किया। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि निजी कंपनियों ने लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों को यदि पूरे वेतन का भुगतान किया तो वे दिवालिया हो जाएंगी। मुख्यमंत्री ने इस बारे में केंद्र को पत्र भी लिखा था।
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