नई दिल्ली: टी सीरीज कंपनी (T-Series Comapany) के मालिक गुलशन कुमार हत्याकांड (Gulshan Kumar Murder) में बांबे हाईकोर्ट का अहम फैसला सामने आया है, इस फैसले में दाऊद इब्राहिम के सहयोगी रहे अब्दुल रऊफ की सजा बरकरार रखी है। बता दें कि सेशन कोर्ट ने भी उसके खिलाफ सजा सुनाई थी। अदालत ने कहा कि ऐसी कोई वजह नहीं कि उसके साथ किसी तरह की रियायत की जाए। जानें क्या हुआ था गुलशन कुमार की हत्या के वक्त.......
गुलशन कुमार की हत्या 12 अगस्त 1997 को जुहू इलाके में हुई। उन्हें कुल 16 गोली मारी गई थी। उस केस में अभी भी कुछ के खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं। अब्दुल रऊफ को सेशन कोर्ट ने 2002 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, इसके बाद साल 2009 में रऊफ ने बीमार मां का बहाना बनाकर पैरोल ली और रिहा होकर बांग्लादेश भाग गया था। बाद में 10 नवंबर 2016 को बांग्लादेश पुलिस ने उसे भारत को सौंप दिया गया था।
12 अगस्त 1997 को मुम्बई के साउथ अंधेरी इलाके में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर 16 गोली मारकर गुलशन की हत्या कर दी गई थी बताते हैं कि डॉन अबू सलेम ने सिंगर गुलशन कुमार से 10 करोड़ देने के लिए कहा था। गुलशन कुमार ने मना कर दिया था। जिसके बाद मुंबई के जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर 16 गोलियां मारकर गुलशन कुमार की हत्या कर दी गई थी।
गुलशन कुमार की हत्या बहुत ही बेरहमी से की गई थी और ये हत्या मंदिर मे की गई थी जब वो पूजा करने के लिए गए थे, बताते हैं कि गुलशन कुमार को मारने के बाद शूटर ने अपना फोन 10 से 15 मिनट तक ऑन रखा था ताकि गुलशन कुमार की चीखें अबू सलेम सुन सके।
एक रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से लिखा- 'गुलशन कुमार मंदिर से निकले और अपनी कार की तरफ वापस जा रहे थे। गुलशन कुमार ने जब हत्यारों को गोली तानते हुए देखा तो कहा कि ये क्या कर रहे हो। इस पर शूटर ने कहा-'बहुत कर ली पूजा, अब ऊपर जाकर करना।' शूटर ने ये कहने के बाद 9 एमएम की पिस्टल से गुलशन कुमार के सीधे सिर पर गोली मार दी थी। पहली गोली लगने के बाद वह छिपने के लिए जगह ढूंढ रहे थे। इसके बाद हत्यारों ने 38 एमएम की पिस्टल से 15 और गोलियां उनके शरीर में दाग दी।
गुलशन कुमार का पूरा नाम गुलशन कुमार दुआ है। सड़क पर जूस बेचने से लेकर एक बड़ी म्यूजिक कंपनी के मालिक का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। गुलशन कुमार दिल्ली की पंजाबी फैमिली में जन्मे थे छोटी उम्र से ही बड़े सपने देखते थे। गुलशन ने जूस की दुकान लगाकर पैसे कमाना शुरू किया था। गुलशन को बचपन से ही संगीत का शौक था। गुलशन को जब दिल्ली में तरक्की के आसार नहीं दिखे तब उन्होंने मुंबई जाने का फैसला लिया और वहां जाकर उन्होंने जो कामयाबी की दास्तां लिखी वो किसी से छिपी नहीं है।
वहीं इस मामले पर आए फैसले में रमेश तौरानी की बरी किए जाने के फैसले को बरकरार रखा गया है। उनके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने अपील की थी। रमेश तौरानी पर आरोप था कि वो आरोपियों को इस बात के लिए उकसाते थे कि वो गुलशन कुमार की जान ले लें।
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