पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के औपचारिक नतीजों का ऐलान मंगलवार यानी 10 नवंबर को होगा। लेकिन आरजेडी लीडर तेजस्वी यादव को उनके जन्मदिन से दो दिन पहले एग्जिट पोल ने तोहफा दे दिया है। ज्यादातर एग्जिट पोल में वो सरकार बनाते हुए नजर आ रहे हैं। 9 नंवबर को वो 31 साल के हो गए अपने जन्मदिन पर आधी रात उन्होंने मां राबड़ी देवी के साथ केक काटा तोहफा भी मिला। लेकिन उन्हें उस तोहफे का इंतजार होगा जिसे जनता ने ईवीएम में कैद कर रखा है। ईवीएम की पेटी मंगलवार को खुलेगी और साफ हो जाएगा कि पाटलिपुत्र की गद्दी पर कौन बैठेगा।
तेजस्वी ने रणनीति में किए अहम बदलाव
दरअसल 10 नवंबर की तारीख तेजस्वी यादव के लिए इसलिए भी अहम है कि अगर जनता उनके पक्ष में फैसला सुनाती है कि तो पांच साल के अंदर वो डिप्टी सीएम से छलांग मारकर सीएम की कुर्सी पर काबिज हो जाएंगे। इससे भी बड़ी बात यह है कि अगर इस चुनाव में उनके प्रचार के तरीकों को देखें या रणनीति पर नजर डालें तो पोस्टर से लालू और राबड़ी गायब रहे। जानकार इस फैसले के पीछे तर्क देते हैं कि कहीं न कहीं वो उन 15 वर्षों के शासन की अपनी तरफ से याद नहीं दिलाना चाहते थे जिसे जंगलराज के तौर पर जाना जाता रहा है।
आंकड़ों के जरिए नीतीश कुमार पर निशाना
जानकार कहते हैं कि इस दफा के चुनाव में अगर सत्ता पक्ष की तरफ से 15 वर्षों के जंगलराज की याद दिलाई जा रही थी तो उनके पास भी कहने के लिए यह था कि आखिर इन 15 वर्षों में क्या हुआ जिसे नीतीश कुमार सुशासन का नाम देते हैं, राज्य में अफसरशाही बेलगाम है, ब्लॉक लेवल से लेकर सचिवालय तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है, शराबबंदी सिर्फ कहने के लिए उसकी होम डिलीवरी हो रही है, जो सरकार खुद को गरीबों की हितैषी बताती थी उसने प्रवासी मजदूरों के साथ क्या किया। इसके साथ ही डबल इंजन की सरकार की बोल बोलते रहे लेकिन विकास सिर्फ कागजों में ही हुआ।
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