नई दिल्ली: अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह, जो इन दिनों पंजशीर में रहकर तालिबान के खिलाफ चल रहे विद्रोह का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्होंने 'डेली मेल' में एक लेख लिखकर बताया कि कैसे काबुल तालिबान के हाथ में चले गया। अमरुल्ला सालेह ने लिखा किअफगानिस्तान का पतन न केवल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए बल्कि पूरी पश्चिमी सभ्यता के लिए शर्मनाक है क्योंकि हर कोई जानता है कि इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ है। सालेह ने फिर से दोहराया कि वह तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेंगे। सालेह ने लिखा कि उन्होंने अपने सुरक्षा गार्ड को इस बात की शपथ दिलाई कि यदि वो घायल हो गए तो उनके सिर में दो बार गोली मार देना क्योंकि वह कभी भी तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेंगे।
काबुल पर तालिबान के कब्जे से पहले की रात
सालेह ने लिखा कि काबुल के पतन से एक रात पहले, जेल के अंदर विद्रोह हुआ था और तालिबानी कैदी भागने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने गैर-तालिबान कैदियों से संपर्क करने की कोशिश की और जवाबी विद्रोह का सामना किया। अगले दिन, अमरुल्ला सालेह सुबह 8 बजे उठे, परिवार, दोस्तों के कई कॉल आए। उन्होंने कहा कि उन्होंने रक्षा मंत्री और आंतरिक मंत्री और उनके डिप्टी से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। काबुल के पुलिस प्रमुख ने उसे सूचित किया कि वह एक घंटे तक ही मोर्चा संभाल सकते हैं। सालेह ने लिखा, "लेकिन उस एक हताश घंटे में, मुझे शहर में कहीं भी अफगान सैनिक तैनात नहीं मिले। मैंने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को यह कहने के लिए मैसेज किया कि हमें कुछ करना है। मुझे किसी से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। और 15 अगस्त की सुबह 9 बजे तक काबुल घबरा रहा था।'
फाड़ दी बेटी और पत्नी की तस्वीरें
सालेह ने आगे लिखा, 'जैसे ही तालिबान ने काबुल पर अपनी पकड़ मजबूत की, तो मैंने अहमद मसूद (पंजशीर की नेशनल रेज़िसटेन्स फ्रंट के मुखिया) को संदेश भेजा जो काबुल में ही थे। मैंने फिर अपने घर में जाकर अपनी पत्नी और बेटियों की तस्वीरें नष्ट कर दीं। मैंने अपना कंप्यूटर और कुछ सामान एकत्र किया। मैं तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करना चाहता। कभी भी नहीं। बॉडीगार्ड से कहा था कि अगर मैं घायल हो जाऊं तो मुझे गोली मार देना।'
अमरुल्ला सालेह अफगानिस्तान से क्यों नहीं भागे?
जैसा कि सालेह ने बताया, उन्हें काबुल के पतन से पहले ही भागने की पेशकश की गई थी। लेकिन उन्होंने उन राजनेताओं की लिस्ट में शामिल होने से इनकार कर दिया जो 'लोगों को धोखा देते हैं' और फिर विदेशों में पॉश होटलों से एक ट्विटर या फेसबुक पोस्ट लिखते हैं। उन्होंने लिखा, 'वे विदेशों में शानदार होटलों और विला में रहते हैं। और फिर वे सबसे गरीब अफगानों को विद्रोह करने के लिए कहते हैं। यह लालसा है। अगर हम विद्रोह चाहते हैं, तो विद्रोह का नेतृत्व करना होगा।'
पाकिस्तान चला रहा है शो
तालिबान के उदय के लिए पाकिस्तान के मजबूत समर्थन की अपनी बात को दोहराते हुए सालेह ने पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ हुई आखिरी फोन कॉल का उल्लेख करते हुए लिखा टतालिबान के प्रवक्ता को पाकिस्तानी दूतावास से हर घंटे निर्देश मिलते हैं... पश्चिम द्वारा अफगानिस्तान के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात किया गया.. हर कोई जानता है कि पाकिस्तान शो चला रहा है। वे जानते हैं कि अल कायदा वापस काबुल की सड़कों पर है। वे जानते हैं कि तालिबान में सुधार नहीं हुआ है। तालिबानी काबुल में अपने आत्मघाती जैकेट प्रदर्शित कर रहे हैं।'