जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation) यानी एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) का निवेशकों को लंबे समय से इंतजार था मगर इसकी तारीख को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई थी कि इस तारीख को आ रहा है मगर हर बार ये महज कयास साबित हुए, मगर सोमवार को ये साफ हो गया कि एलआईसी का आईपीओ 4 मई को खुलेगा और 9 मई को बंद होगा।
बताया जा रहा है कि भारत सरकार एलआईसी के इस आईपीओ में अपनी 3.5 फीसद हिस्सेदारी बेचेगी, पहले सरकार की पांच फीसद हिस्सेदारी बेचने की प्लानिंग थी। इससे सरकारी खजाने में 21,000 करोड़ रुपये आएंगे।
आईपीओ के आधार पर एलआईसी का मूल्यांकन छह लाख करोड़ रुपये बैठता है।सरकार ने फरवरी में एलआईसी में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी या 31.6 करोड़ शेयर बेचने की योजना बनाई थी। इस बारे में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास दस्तावेज जमा कराए गए थे।
इश्यू साइज घटाकर 3.5 प्रतिशत करने का फैसला
हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बाजार में जो उतार-चढ़ाव आया उससे आईपीओ योजना में भी अड़चनें आई।
पिछले सप्ताह सरकार ने निर्गम का आकार घटाकर 3.5 प्रतिशत करने का फैसला किया था।सूत्रों ने बताया कि सरकार ने सेबी के पास पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के नियम से छूट के लिए भी दस्तावेज दिए थे।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है
सेबी के नियमों के अनुसार, एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के मूल्यांकन वाली कंपनियों को आईपीओ में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की जरूरत होती है।अंतरराष्ट्रीय मूल्यांकक कंपनी मिलीमैन एडवाइजर्स ने 30 सितंबर, 2021 को एलआईसी का 5.4 लाख करोड़ रुपये का अंतर्निहित मूल्य निकाला था।निवेशकों से मिले ब्योरे के अनुसार, एलआईसी का बाजार मूल्य उसके अंतर्निहित मूल्य का 1.1 गुना यानी करीब छह लाख करोड़ रुपये बैठता है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें एलआईसी के आईपीओ का बड़ा योगदान होगा।
पहले सामने आई थी आईपीओ टालने की खबर
पहले यह बताया गया था कि केंद्र ने कुछ समय के लिए अपने एलआईसी आईपीओ के फैसले को रोकने का फैसला किया है और सरकार रूस और यूक्रेन संकट (Russie Ukraine War) से पैदा हुई अनिश्चितताओं के बीच वित्तीय बाजार के स्थिर होने की प्रतीक्षा कर रही है।
पहले सरकार की योजना चालू वित्त वर्ष के अंत से पहले देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी को लिस्ट करने की थी।जीवन बीमा निगम में लगभग 31.6 करोड़ शेयरों या 5 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री से सरकारी खजाने को लगभग 60,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान था।