मुख्य बातें
- भगवान बुद्ध ने स्वास्थ्य को अनमोल धरोहर माना है
- घृणा को खत्म करने के लिए प्रेम ही काम आता है
- क्रोध और शंका इसान को पहले खत्म कर देते हैं
भगवान बुद्ध ने अपने जीवन में जिन आर्दशों की चर्चा की वह बहुत ही सामान्य हैं और सरल है, लेकिन मनुष्य आसान और सरल चीजों को समझ नहीं पाता। ऐसा उसके मन में चल रहे उथल-पथल के कारण होता है। भगवान बुद्ध ने अपने विचारों में ऐसी कोई बात नहीं की है, जो एक इंसान के लिए संभव न हो। उन्होंने लोगों को पाखंड, दिखावा और भेदभाव से ऊपर उठ कर सोचने की क्षमता विकसित करने की सीख दी है। ये सीख आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं। आइए भगवान बुद्ध के कुछ अनमोल वचन के बारे में जानें जो एक छात्र से लेकर गृहस्थ तक के लिए बहुत काम आने वाली हैं।
भगवान बुद्ध के इन विचारों पर अपने जीवन के मूल्य करें तय (Buddha Purnima Quotes)
- भगवान बुद्ध ने कहा है कि इंसान को कभी अपनी चीज को बढ़ा-चढ़ा कर नहीं बतानी चाहिए। ऐसा करने से इंसान एक दिन स्वयं की बनु जाल में फंस जाता है।
- इंसान को कभी किसी से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ईर्ष्या इंसान का सुख और चैन छीन लेती हैं। ईर्ष्या जिसके मन में हो वह कभी शांति से नहीं रह सकता। भगवान बुद्ध ने कहा है कि ईर्ष्या या घृणा को प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है।
- भगवान बुद्ध ने क्रोध को कोयले के समान बताया है। जिस तरह कोयला धीरे-धीरे जलता हुआ अचानक से तेज हो कर राख में तब्दील हो जाता है, ठीक गुस्सा भी ऐसे ही इंसान को जलाकर रख कर देता है और क्रोध में इंसान अपने विवेक को खो देता है।
- इंसान को कभी भी ये नहीं सोचना चाहिए कि क्या हो चुका है, बल्कि ये देखना चाहिए कि क्या-क्या करना बाकी रह गया है।
- इंसान को जीवन में अपने स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सचेत रहना चाहिए, क्योंकि स्वास्थ्य यदि साथ नहीं देता तो सब कुछ होते हुए भी जीवन मौत समान हो जाता है।
- भगवान बुद्ध ने कहा है कि इंसान का जैसा विचार होता है इंसान धीरे-धीरे वैसा ही बन जाता है। इसलिए हमेशा अच्छे विचार इंसान को रखने चाहिए।
- भगवान बुद्ध ने शंका को जहर समान बताया है। उनके विचार में शंका इंसान को पहले खुद मारती है फिर दूसरों को मारती है। ये ऐसा जहर होता है जो दोस्त, रिश्ते और संबंध सब खत्म कर देता है।
- इंसान के कर्म उसके ही नहीं उसके आने वाली पीढ़ियों को भी प्रभावित करते हैं। इसलिए जब भी हम कुछ बुरा करने की सोचें तो हमें अपनी ही नहीं अपनी पीढ़ियों तक होने वाले असर के बारे में भी सोचना चाहिए। ठीक उसी तरह इंसान जब अच्छे कर्म करता है तो उसके कर्म उसे पीढ़ियों तक मिलते हैं।
- भगवान बुद्ध ने कहा है कि हजारों खोखले शब्दों से अच्छा है,वह एक शब्द है जो शांति लाता है। शांति के लिए इंसान को हर संभवन प्रसास करना चाहिए।
- सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं । इसलिए मन को काबू में रखना बहुत जरूरी है।
- अतीत इंसान की शक्ति को क्षीण करता है, इसलिए न तो भविष्य के लिए सोचे न अतीत के लिए। वर्तमान में जीना ही इंसान को जीवंत बनाता है।
- भगवान बुद्ध ने कहा था कि जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, ठीक उसी तरह मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
- इंसान को अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करना होता है। दूसरों पर निर्भर रहना कभी कोई कार्य पूरा नहीं करा सकता।