- प्रथम हरियाणा के महेंद्रगढ नाम के एक छोटे से कसबे से आते हैं।
- प्रथम ने अपने दूसरे अटेंप्ट में सिविल सर्विस की परीक्षा में ये रैंक हासिल की थी।
- प्रथम ने बताया कि वह मेंस परीक्षा ड्रॉप करने का मन बना चुके थे।
नई दिल्ली. यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा के रिजल्ट में पिछले कुछ वक्त से एक नया पैटर्न देखने को मिली है। अब छोटे शहरों और कस्बों में रहकर भी देश की इस सबसे बड़ी परीक्षा की तैयारी करना कोई मुश्किल बात नहीं है। सिविल सेवा परीक्षा 2017 में पांचवीं रैंक हासिल करने वाले प्रथम इसकी नाजीर हैं।
प्रथम हरियाणा के महेंद्रगढ नाम के एक छोटे से कसबे से आते हैं। वो खुद को एक औसत छात्र मानते हैं।दिल्ली नॉलेज ट्रैक से बातचीत में प्रथम कहते हैं कि सफलता के लिए सबसे अहम है कभी हार न मानने की जिद।
प्रथम ने अपने दूसरे अटेंप्ट में सिविल सर्विस की परीक्षा में ये रैंक हासिल की थी। बकौल प्रथम, "साल 2016 में मैंने पहला अटेंप्ट दिया था। इस अटेंप्ट में मैं प्रीलिम्स भी नहीं क्वालिफाई कर पाया था। मैंन जब अपनी असफलता की समीक्षा की थी तो पाया कि मुझमें विश्वास की कमी है।"
नहीं देना चाहते थे मेन्स एग्जाम
प्रथम ने बताया कि वह मेंस परीक्षा ड्रॉप करने का मन बना चुके थे। प्रथम कहते हैं कि, "यूपीएससी परीक्षा की सबसे अच्छी बात है कि आप हारते भी हैं तो भी आप लूजर नहीं हैं। आपको अपनी असफलता से भी कुछ न कुछ मिलता जरूर है।"
प्रथम बताते हैं कि, " मैंने छठी क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक की हिस्ट्री और भूगोल की एनसीआरटी को पढ़ा। इन किताबों से मुझे काफी कॉन्फिडेंस मिला था। मैं जब भी लो कॉन्फिडेंट फील करता तो 'वापस बेसिक की तरफ जाओ'के गुरुमंत्र को फॉलो करता था।
पूछा गया ये सवाल
प्रथम ने बताया कि यूपीएससी में एथिक्स सब्जेक्ट काफी अहम होता है। इसमें केस स्टडी से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। इस एग्जाम के जरिए देखा जाता है कि आप किस तरह से किसी भी समस्या का हल निकालते हैं।
प्रथम के मुताबिक, "इस बार सवाल पूछा गया कि आप आईएएस एग्जाम का इंटरव्यू देने जा रहे हैं, लेकिन आप देखते हैं कि एक मां और बेटा एक्सीडेंट के बाद सड़क पर पड़े हुए हैं। आपको पता लगता है कि वो आपके रिश्तेदार हैं। ऐसे में मैंने जवाब लिखा कि मैं फोन निकालकर उस हॉस्पिटल के एड्रेस सर्च करुंगा जो यूपीएससी की बिल्डिंग के रास्ते पर है।