- 2017 में इंटरव्यू से दस दिन पहले अनुज का एप्लीकेशन रद्द हो गया था।
- अनुज ने अपनी डेट ऑफ बर्थ 30 मार्च 1991 की जगह 31 मार्च 1991 भर दी थी।
- अनुज प्रताप सिंह ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी थी।
मुंबई. 2019 बैच के आईएएस अनुज सचदेव की एक छोटी-सी गलती ने उनका एक साल बर्बाद कर दिया। 2016 की परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन उन्हें निराशा हाथ लेगी। इसके बाद आया 2017, जब प्रीलिम्स, मेन्स के बाद इंटरव्यू से दस दिन पहले एप्लीकेशन रद्द हो गया था।
दिल्ली नॉलेज ट्रैक से बातचीत में अनुज प्रताप सिंह ने बताया कि, "साल 2016 में मैंने प्री और मेन्स क्वालिफाई कर इंटरव्यू तक पहुंचा था। हालांकि, फाइनल लिस्ट में मेरा नाम नहीं था। इसके बाद साल 2017 में मैंने फॉर्म में अपनी डेट ऑफ बर्थ 30 मार्च 1991 की जगह 31 मार्च 1991 भर दी थी।"
बकौल अनुज "28 मार्च 2018 को मेरे पास यूपीएससी से एक लेटर आया। इसमें लिखा था कि मेरा कैंडिडेचर रद्द कर दिया गया है। इसके दस दिन बाद मेरा इंटरव्यू होना था। मैंने केंद्रीय प्रशासन न्याधिकरण (सीएटी) में अपील दाखिल की। सीएटी ने अंतरिम आदेश जारी कर मुझे इंटरव्यू देने की अनुमति दे दी।"
रोक दिया गया रिजल्ट
अनुज बताते हैं कि, "साल 2017 में उनका रिजल्ट रोक दिया गया। आखिर में न्यायधिकरण का फैसला भी मेरे खिलाफ आया और उन्होंने मेरी अपील को खारिज दिया। इसके बाद मेरे पास दो ऑप्शन था- या तो मैं इस केस को हाईकोर्ट ले जाता या फिर अपना मेन्स का एग्जाम लिखता।"
अनुज और उनके परिवार ने आखिरकार फैसला किया कि वह दोनों काम करेंगे। अनुज कहते हैं कि "हमने सीएटी के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी और साथ में मेन्स के एग्जाम की तैयारी भी की। ऐसे में मुझे दो मोर्चों पर लड़ाई रही।
हाईकोर्ट ने पक्ष में दिया निर्णय
अनुज अपनी संघर्ष की कहानी बताते हुए कहते हैं कि, "कई सुनवाई के बाद कोर्ट ने मेरे पक्ष में निर्णय सुनाया। हालांकि, इसके बाद अपील सुप्रीम कोर्ट में इस निर्णय की अपील की गई थी। मैं एक अनिश्चतता के दौर से गुजर रहा था।
अनुज के मुताबिक 2018 में मैं जब मेन्स का एग्जाम दे रहा था तो मुझे 101 डिग्री बुखार था। मैंने इस बुखार में भी एग्जाम दिया और पास कर लिया। फरवरी 2019 में आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि मेरा साल 2017 का रिजल्ट निकाला जाए। आखिरकार मेरा रिजल्ट आया और मैंने इस एग्जाम को क्वालिफाई कर लिया।