- केवल राजनेता के रूप में नहीं है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहचान
- अब तक 100 से ज्यादा किताबें लिख चुकी हैं, कविता, निबंध और शायरी में आजमाया हाथ
- राज्य में अप्रैल-मई में होने हैं विधानसभा चुनाव, इस बार भाजपा से है कड़ा मुकाबला
नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए सभी दल अपने चुनावी अभियान को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। चुनाव आयोग की ओर से आचार संहिता की घोषणा के साथ राज्य में चुनाव प्रचार का जोर पकड़ेगा। राज्य में इस बार मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच माना जा रहा है। भाजपा पूरी ताकत के साथ इस बार ममता सरकार को घेरने में जुटी है तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी भगवा पार्टी की चुनौती को स्वीकार करने में पीछे नहीं हैं। वह भी आक्रामक तरीके एवं अंदाज से उसे जवाब दे रही हैं।
एक परिपक्व नेता हैं ममता बनर्जी
लेफ्ट के दशकों के शासन को सत्ता से बदेखल कर ममता ने खुद को एक परिपक्व राजनेता के रूप में स्थापित किया है। इसमें कोई शक नहीं है कि वह एक मझी हुई नेता हैं। वह नेता होने के साथ-साथ एक कुशल लेखक, कवि और चित्रकार भी हैं, यह बात शायद सभी लोगों को पता नहीं हैं। सियासी ममता बनर्जी के मन में एक कोमल कवि हृदय और लेखक भी बसता है। यहां हम राजनेता ममता कि नहीं बल्कि कवि और लेखक ममता बनर्जी की बात करेंगे। अपनी इस प्रतिभा से उन्होंने समय-समय पर लोगों को चौंकाया है। अब तक उनकी दर्जनों किताबें सामने आ चुकी हैं।
कोलकाता बुक फेयर में ममता की किताबों की मांग
कोलकाता बुक फेयर ममता की किताबों की मांग बहुत ज्यादा रहती है। उनकी कविता, कहानी और राजनीति से जुड़ी पुस्तकें लोग काफी पसंद करते हैं। पिछले साल पुस्तक मेले में ममता की 13 पुस्तकों का विमोचन हुआ। ये किताबें बंगाली, अंग्रेजी और उर्दू में भाषा में थीं। बताया जाता है कि टीएमसी प्रमुख 100 से ज्यादा पुस्तकें लिख चुकी हैं। उनकी जो प्रमुख पुस्तकें हैं उनमें 946 कविताओं का एक संग्रह है। इस कविता संग्रह का नाम कबिताबितान है और उनका यह संग्रह रवींद्रनाथ टैगोर के कृति गीताबितान से प्रेरित है।
चित्रकारी भी करती हैं ममता
बीते आठ वर्षों में बनर्जी ने एक राजनेता के अलावा खुद को एक कलाकार, लेखक और संगीतकार के रूप में भी पेश करने की कोशिश की है। पिछले साल मेयो रोड पर उन्होंने सीएए विरोध वाली एक चित्रकारी भी की जिसे लोगों ने काफी पसंद किया। साल 2019 में ममता की सात किताबें और साल 2018 में नौ पुस्तकें प्रकाशित हुईं। पिछले कुछ सालों में कोलकाता बुक फेयर में ममता बनर्जी की सर्वाधिक किताबें प्रकाशित हुई हैं। बंगाल के बड़े पब्लिशिंग हाउस डेज पब्लिशिंग से ममता की किताबें प्रकाशित होती आई हैं।
कविता, शायरी, निबंध में आजमाया हाथ
पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड के अध्यक्ष त्रिदिब चटर्जी का कहना है, 'ममता बनर्जी ने अब तक चार भाषाओं हिंदी, बंगाली, अंग्रेजी और उर्दू में किताबें लिखी हैं। उनकी किताबें पुस्तक मेले में अच्छा व्यवसाय करती हैं।' डेज पब्लिशिंग के मालक शुभांकर डे का कहना कि पिछले साल ममता की 13 पुस्तकें जो प्रकाशित हुईं उनमें छह अंग्रेजी, छह बंगाली और एक उर्दू में है। ममता की कविताओं के संग्रह 'नागरिक', उत्तर बंगाल पर केंद्रित 'सबुज बांग्ला', राजनीति पर केंद्रित 'मनुषेर पोखे, उन्ननएर लोक्खे' और उर्दू शायरी 'हिम्मत' को लोगों ने काफी पसंद किया।