- भारत-चीन तनाव के बीच राहुल गांधी ने एक बार फिर पीएम मोदी पर तीखे वार किए हैं
- कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री का पूरा ध्यान अपनी छवि गढने पर है
- चीन से मुकाबला के लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण अपनाने पर भी जोर दिया
नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को एक बार फिर केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार पर निशाना साधा। चीन-भारत सीमा गतिरोध का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री का ध्यान पूरी तरह अपनी छवि बनाने पर है और देश में 'बंधक हो चुके संस्थान' भी इसमें लगे हुए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी एक व्यक्ति की छवि राष्ट्रीय दृष्टिकोण का विकल्प कभी नहीं हो सकती।
चीन के सीमा विवाद और केंद्र सरकार के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा, 'मनोवैज्ञानिक रूप से आपको चीन के साथ ताकतवर तरीके से निपटना होगा। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप उनके साथ काम कर सकते हैं, जो आपको चाहिए वह मिल सकता है और यह वास्तव में किया जा सकता है। लेकिन अगर उन्हें आपका पक्ष कमजोर लगता है तो यह सब हाथों से निकल जाता है।'
'बदलना होगा नजरिया'
केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी चीन के साथ जारी तनातनी से निपटने को लेकर केंद्र सरकार के रुख पर भी सवाल उठाए। चीन से निपटने के लिए वैश्विक दृष्टिकोण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, 'पहली बात तो यह है कि आप चीन से वैश्विक दृष्टिकोण को अपनाए बगैर मुकाबला नहीं कर सकते। और इससे मेरा आशय कभी भी राष्ट्रीय दृष्टिकोण नहीं है। मेरा मतलब है, एक अंतराष्ट्रीय दृष्टिकोण। बेल्ट एंड रोड जैसी, जो पूरी वैश्विक व्यवस्था में बदलाव का प्रयास है।'
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत को वैश्विक दृष्टिकोण रखना होगा। इसे एक विचार बनना होगा और इसे एक वैश्विक विचार बनना है। यही भारत की बड़ी ताकत होगी। उन्होंने कहा, 'बेशक हमारे साथ सीमा मुद्दा है और हमें इसे हल करना होगा। लेकिन हमें अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। लेकिन अगर हम इसी तरह बढ़ते रहे तो हम अप्रासंगिक हो जाएंगे... मुझे लगता है कि हम एक बड़ा अवसर खो रहे हैं, क्योंकि हम उस दिशा में नहीं सोच रहे हैं।'
'सवाल करना मेरी जिम्मेदारी'
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के पास चीन से मुकाबला के लिए कोई दृष्टिकोण नहीं है। उन्होंने कहा, 'विपक्ष में होने के नाते प्रधानमंत्री से सवाल करना और उन पर दबाव बनाना मेरी जिम्मेदारी है, ताकि वह अपना काम करें। उनकी जिम्मेदारी राष्ट्र को एक दृष्टिकोण देना है, लेकिन इसका साफ अभाव नजर आता है। चीन के साथ मौजूदा स्थिति भी इसी वजह से है।'