- अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा की अनुमति
- अभी तक सिर्फ उत्तराखंड के श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा की अनुमति थी
- कोरोना महामारी के कारण उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को गहरा आर्थिक नुकसान हुआ है
नई दिल्ली: उत्तराखंड सरकार ने अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा करने की अनुमति दे दी है। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) ने ये जानकारी दी। रविनाथ रमन सीईओ देवस्थानम बोर्ड ने कहा, '17 जुलाई को जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार उत्तराखण्ड में जो बाहर से लोग आ रहे हैं अगर वो उत्तराखण्ड में प्रवेश से पिछले 72 घंटे में अपना RTPCR टेस्ट करा लेते हैं और नेगेटिव पाए जाते हैं तो वो उत्तराखण्ड में आ सकते हैं। बाहर के राज्यों से आने वाले ऐसे व्यक्ति जिन्होंने RTPCR टेस्ट कराया है वो देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करके सभी ओरिजनल डॉक्यूमेंट के साथ सीधे चार धाम की यात्रा कर सकते हैं। उन्हें क्वारंटाइन में रहने की आवश्यकता नहीं होगी।'
अभी तक केवल उत्तराखंड के निवासियों को चारधाम- केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के चार पूजनीय मंदिरों की यात्रा करने की अनुमति थी। उत्तराखंड के तीर्थयात्रियों को चार धाम की यात्रा के लिए 20,000 से अधिक पास जारी किए गए हैं।
राज्य सरकार ने प्रति दिन तीर्थ यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। केदारनाथ के लिए 800, बद्रीनाथ के लिए 1200, गंगोत्री के लिए 600, यमुनोत्री के लिए 400 की संख्या निर्धारित की गई है। प्रत्येक तीर्थयात्री को पहचान और पते का प्रमाण देना होगा।
धार्मिक पर्यटन को आर्थिक नुकसान
कोविड-19 महामारी की वजह से सालाना कांवड़ मेला पर प्रतिबंध लगाए जाने और चारधाम यात्रा सीमित होने से उन लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हो गई जो राज्य में धार्मिक पर्यटन से अपनी कमाई करते थे। हरिद्वार व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष सुरेशी गुलाटी ने कहा कि पिछले साल चारधाम यात्रा से 1,100 करोड़ रुपये आमदनी हुई थी और रिकॉर्ड 36 लाख श्रद्धालुओं ने केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की यात्रा की थी। लेकिन इस साल यात्रियों की आवाजाही नहीं हुई। हरिद्वार और ऋषिकेश में सावन महीने में कांवड़ियों के आने की वजह से होटल, आश्रम, अतिथिगृह और धर्मशाला पूरी तरह से भरे रहे थे और राज्य के मंदिरों में दर्शन के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु आते थे।