- नए मंत्रिमंडल में में 27 ओबीसी, 12 एससी और 11 महिलाओं को जगह मिली।
- डॉ हर्षवर्धन, रवि शंकर प्रसाद, प्रकाश जावडे़कर, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे कद्दावर नेता मंत्रिमंडल से हटाए गए।
- सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से 7 नए मंत्री बनाए गए । जिनमें 3 ओबीसी, 3 अनुसूचित जाति और एक ब्राह्मण सांसद को शामिल किया गया।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2021 में मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए जो दांव खेला था, उसका असर दिखने का वक्त अब करीब आ गया है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में उस दांव का कितना असर होगा। वह उन राज्यों के मार्च में आने वाले चुनाव परिणामों से साफ हो जाएगा।
क्या खेला था दांव
कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 जुलाई 2021 को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था। इस विस्तार में कुल 43 नए मंत्रियों ने शपथ ली थी। इस कवायद में स्वास्थ्य, शिक्षा , पर्यावरण , कानून और सूचना एवं प्राद्योगिकी जैसे भारी-भरकम मंत्रिमंडल के मंत्रियों के इस्तीफा देना पड़ा था। इस लिस्ट में डॉ हर्षवर्धन, रवि शंकर प्रसाद, प्रकाश जावडे़कर, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे कद्दावर नेताओं के नाम शामिल थे।
क्या था मकसद
नए मंत्रिमंडल में में 27 ओबीसी, 12 एससी और 11 महिलाएं शामिल हुईं। कुल 43 मंत्री नए बनाए गए। इसमें सबसे ज्यादा तवज्जों उत्तर प्रदेश को मिली। जहां से 7 नए मंत्री बनाए गए । खास बात यह है कि ये मंत्री प्रदेश के सभी क्षेत्र से बनाए गए। इसके बाद गुजरात से 5 मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई। उत्तर प्रदेश में जहां फरवरी-मार्च 2022 में चुनाव होने वाले हैं, वहीं गुजरात में नवंबर-दिसंबर 2022 में चुनाव होंगे।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 ओबीसी, 12 एससी और 8 आदिवासियों को मंत्रिमंडल में जगह देकर इस धारणा को तोड़ने की कोशिश की है कि भाजपा सिर्फ सवर्णों की पार्टी है।
नई टीम के जरिए प्रधानमंत्री मोदी सरकार की यह संदेश देने की भी कोशिश थी कि वह गठबंधन के दूसरे दलों को भी साथ लेकर चलते हैं। क्योंकि भाजपा के सबसे पुराने साथी अकाली दल और शिवसेना उनका साथ छोड़े चुके थे। ऐसे में अपना दल, एलजेपी और जेडीयू को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व दिया गया।
कितना मिलेगा फायदा
मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे ज्यादा फोकस उत्तर प्रदेश पर था। जहां से तीन ओबीसी, तीन अनुसूचित जाति और एक ब्राह्मण सांसद को मंत्रिमंडल में जगह दी गई। साफ है कि पार्टी उत्तर प्रदेश में गैर सवर्णों को लुभाने की कोशिश में थी। साथ ही खीरी के सांसद अजय कुमार मिश्रा टेनी को ब्राह्मण चेहरे के रूप में जगह दी। लेकिन फिलहाल किसानों की हत्या में अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का नाम आने से वह पार्टी के लिए फायदेमंद से ज्यादा नुकसानदेह साबित हो रहे हैं। कुल मिलाकर मंत्रिमंडल विस्तार का क्या हुआ असर, उसका 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब ,मणिपुर, गुजरात, हिमाचल में में होने वाले चुनावों के परिणामों में दिख सकता है।