लाइव टीवी

Chanakya Niti: जनभागीदारी और सबके विकास के बिना लोकतंत्र अधूरा, चाणक्‍य ने बताया है लोकतंत्र का सही मतलब

Updated Sep 15, 2022 | 07:43 IST

Chanakya Niti in hindi: आज से करीब ढाई हजार साल पहले चाणक्य के समय में लोकतंत्र नहीं था। लेकिन मौर्य वंश के शासनकाल में लोकतंत्र की झलक मिलती है। आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले ही लोक-कल्याणकारी राज्य के लिए कारगर नीतियां हम भारतवासियों को दीं।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
लोकतंत्र पर आचार्य चाणक्‍य ने दी है बड़ी सीख
मुख्य बातें
  • लोकतंत्र का शासन जनभागीदारी के सहयोग से होता है सफल
  • आज लोकतंत्र में वोट डालने वाला हर नागरिक है चाणक्य
  • आचार्य चाणक्‍य ने बताया सबका साथ सबका विकास का महत्‍व

Chanakya Niti in hindi:  प्रचलित किवदंती है कि आचार्य चाणक्य नंद वंश के राजा से नाराज होकर ऐसे शख्स की खोज कर रहे थे जो नंद राजा का सर्वनाश कर सके। इस दौरान पाटलीपुत्र की गलियों में उन्हें करीब आठ साल का एक बालक दूसरे बच्‍चों के साथ खेल रहा था। वह बालक एक राजा की तरह सिंहासननुमा कुर्सी पर बैठकर भ्रष्ट व अन्यायपूर्ण आचरणों के बारे में नसीहतें दे रहा था। इस बालक की बुद्धिमता देखकर चाणक्य को समझते देर नहीं लगी कि यही बालक वह राजा है जिसे वो खोज रहे हैं। इस बालक का नाम था चंद्रगुप्त।

बाद में यह बालक मौर्य वंश का शासक चंद्रगुप्त मौर्य बना। आज से करीब ढाई हजार साल पहले चाणक्य के समय में लोकतंत्र नहीं था। इसलिए उन्‍होंने ऐसा शख्स चुना, जिसमें जन्‍मजात नेतृत्व का गुण था, लेकिन आज हमारा देश विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां हर व्‍यक्ति के पास अपना शासक चुनने का अधिकार है, मतलब आज वोट डालने वाला हर नागरिक चाणक्य है। आचार्य चाणक्‍य के समय में लोकतंत्र भले ही न रहा हो, लेकिन उन्‍होंने लोकतंत्र को मजबूत बनाने के कई प्रयास किए और हमें अहम सीख दी।

जनभागीदारी

आचार्य चाणक्य का मानना था कि आम जनता को साथ लाए बगैर घनानंद के शासन को उखाड़ फेंकना मुमकिन नहीं है। इसीलिए चाणक्य ने आम जनता के दम पर अपनी एक सेना बनाई और घनानंद का तख्‍ता पलट कर दिया। आचार्य चाणक्‍य ने इस सफलता से सीख दी कि जनभागीदारी से ही शासन व्‍यवस्‍था को बदला जा सकता है। लोकतंत्र में आम जनता के पास बड़ी ताकत होती है।

Also Read: Chanakya Niti: गृहस्थ जीवन को स्‍वर्ग बना देती हैं ये चार चीजें, चाणक्‍य ने बताए दुख दूर करने के खास उपाय

परिवारवाद की राजनीति पर चोट

आचार्य चाणक्‍य ने उस काल में परिवारवाद की राजनीति को खत्म करके लोकतंत्र का समर्थन करते हुए घनानंद के शासन को खत्‍म किया था। आचार्य चाणक्‍य का मानना था कि शासन की बागडोर उसी को संभालनी चाहिए, जो उसके लायक हो और जनता जिसे पसंद करती हो। ऐसे व्‍यक्ति को शासन करने का कोई अधिकार नहीं, जो जनता की समस्‍याओं को न सुनता हो।

Also Read:  Chanakya Niti: जीवन के रास्‍ते में ऐसे लोगों को कभी न बनाएं अपना साथी, हंसती-खेलती जिंदगी हो जाएगी बर्बाद

सबका साथ सबका विकास

आचार्य चाणक्‍य कहते थे कि शासन में सबका साथ सबका विकास होना जरूरी है। मौर्य साम्राज्‍य में लोकतंत्र की तरह जनता के विचारों को राज्‍य की नीतियों में शामिल किया जाता है। आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले ही लोक-कल्याणकारी राज्य के लिए कारगर नीतियां हम भारतवासियों को दीं।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल