- सुख और दुख हैं मानव जीवन के अहम हिस्से
- मोह-ममता मनुष्य को देते हैं सबसे ज्यादा दुख
- मन की मजबूती दुख हरने में करती है काफी मदद
Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में मानव जीवन के लिए कई उपयोगी बातों का जिक्र किया है। आचार्य का मानना है कि सुख और दुख समय के चक्र हैं जो सबके जीवन में आते हैं। सुख तो सभी चाहते हैं लेकिन दुख कोई नहीं चाहता है। हालांकि समय चक्र को बदला नहीं जा सकता है, लेकिन दुख को कुछ हद तक जरूर कम किया जा सकता है। आचार्य ने कुछ ऐसी बातों का जिक्र किया है, जिसकी मदद से दुख को कम किया जा सकता है। वे कहते हैं कि कुछ बातें व आदतें लोगों को ज्यादा दुख पहुंचाती हैं, उससे दूर रहकर दुख को कम किया जा सकता है।
मोह-ममता
आचार्य चाणक्य का मानना है कि मानव जीवन में किसी भी दुख का मूल कारण मोह-ममता होती है। यदि दुख से बचना है तो इससे दूर रहना जरूरी है। जो व्यक्ति अपने परिवार से अति लगाव रखता है, वो हमेशा भय और दुख में जीता है। वहीं जो लोग लगाव कम रखते हैं, वे हमेशा खुश और निडर होते हैं। मोह-ममता को कम कर दुख को भी कम किया जा सकता है।
मन की मजबूती
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह से एक पहलवान की ताकत उसकी शक्तिशाली भुजाओं में होती है, ब्राह्मण की ताकत उसके आध्यात्मिक ज्ञान में और एक औरत की ताकत उसकी खूबसूरती में होती है उसी तरह हर व्यक्ति की ताकत उसके मन से मिलता है। इन को मजबूत बना कर दुख को दूर रखा जा सकता है।
स्वस्थ्य शरीर
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन में दुख का एक अहम कारण रोग भी होता है। जो लोग निरोगी काया वाले होते हैं, वे हमेशा खुश रहते हैं, वही रोगों से घिरा व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है। आचार्य कहते हैं कि अगर एक बार शरीर में रोग लग गया तो स्वस्थ्य शरीर पाना मुश्किल होता है। इसलिए अपने शरीर पर विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अतीत को भूल जाएं
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन चक्र में मनुष्य को बहुत कुछ सहना पड़ता है। इसलिए जब भी जीवन के बारे में चिंतन करें तो यह ध्यान रखें की अतीता को नहीं बदला जा सकता है, जो होना था वो हो चुका। इसलिए उसे भूल आगे बढ़े और भविष्य को बेहतर बनाएं। क्योंकि अतीत को जितना याद करेंगे, वह उतना ही दुख देगा।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)