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Akshaya Tritiya Vrat Katha: अक्षय तृतीया व्रत कथा हिंदी में, मां लक्ष्मी की कृपा के लिए पढ़ें ये पौराणिक कहानी

Updated May 03, 2022 | 06:02 IST

Akshaya Tritiya 2022 Vrat Katha in Hindi:अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन कई शुभ और मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं। यहां देखें अक्षय तृतीया की व्रत कथा।

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Akshaya Tritiya 2022 vrat katha

Akshaya Tritiya 2022 Vrat Katha in Hindi: अक्षय तृतीया का दिन हिंदुओं के लिए बहुत खास होता है। यह हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस बार अक्षय तृतीया 3 मई (Akshaya Tritiya vrat) को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में विवाह या गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों के लिए यह दिन बहुत ही अच्छा माना जाता है। ऐसी मान्यता हैं, कि इस दिन मां लक्ष्मी स्वयं धरती पर विचरण करने आती हैं। इस दिन सोना या चांदी खरीदने की परंपरा है। ऐसा कहा जाता हैं, कि इस दिन सोना खरीदने से जीवन में आर्थिक समस्याएं नहीं आती है। अक्षय तृतीया को लेकर कई कहानियां (Akshaya Tritiya vrat kahani) भी प्रचलित है, तो आइए आज हम आपको अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा बताएं।

अक्षय तृतीया की कथा हिन्दी में (Akshaya Tritiya ki Katha in hindi)

एक समय की बात है शाकलनगर में एक धर्मदास नामक वैश्य रहता है। वह धार्मिक विचारों वाला व्यक्ति था। वह दान-पुण्य का काम बड़ी श्रद्धा पूर्वक करता था। भगवान के प्रति उसकी असीम आस्था थी। वह हमेशा ब्राह्मणों का आदर सत्कार किया करता था। एक दिन की बात है। वैश्य को किसी दूसरे के माध्यम से अक्षय तृतीया के महत्व का पता चला। उस व्यक्ति ने धर्मदास को बताया, कि अक्षय तृतीया के दिन पूजा-पाठ और ब्राह्मणों को दान कराने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती हैं। यह बात वैश्य के मन में बैठ गई।

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जब अक्षय तृतीया की तिथि आई, तो उसने उस दिन सुबह-सुबह स्नान करके पितरों और देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करके ब्राह्मणों को आदर सम्मान पूर्वक भोजन कराया। इस प्रकार से वैश्य हर साल अक्षय तृतीया के दिन पूजा-पाठ करने लगा। उसका ऐसा करना उसके घरवालों को ठीक नहीं लगता था। उसकी पत्नी हमेशा उसे ऐसा करने से रोका करती थी। लेकिन धर्मदास दान-पूर्ण करना कभी नहीं छोड़ा।

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कुछ समय बाद धर्मदास का निधन हो गया। अगले जन्म में वह द्वारका के कुशावती नगर में पैदा हुआ। बड़ा होकर वह उस नगर का राजा बन गया।  आपको बता दें, यह सब अक्षय तृतीया के पूजा-पाठ का ही फल था। अगले जन्म में भी वह धार्मिक विचारों वाला व्यक्ति ही था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन इस कथा को पढ़ने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन इस कथा को जरूर पढ़ें और दूसरों को सुनाएं।

(डिस्क्लेमर :  इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। टाइम्स नाउ नवभारत इनकी पुष्टि नहीं करता है।)
 

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