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Ganesh Visarjan 2019: आज किया जाएगा बप्‍पा का विसर्जन, जानें शुभ मुहूर्त एवं पूरी पूजा विधि

Updated Sep 11, 2019 | 14:19 IST |

अनंत चतुर्दशी के दिन जहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है वहीं, गणपति विजर्सन की परंपरा भी सबसे ज्‍यादा है। गणेश जी की विदाई से पहले यहां जानें गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त...

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Ganesh Visarjan
मुख्य बातें
  • अनंत चतुर्दशी के दिन विष्‍णु जी के अनंत रूप की पूजा की जाती है
  • अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन की भी परंपरा है
  • जिस तरह से स्थापना के समय बप्‍पा का स्वागत होता है उतनी ही धूम धाम के साथ उनका विर्सजन भी किया जाता है

Ganesh Visarjan 2019: अनंत चतुर्दशी के दिन विष्‍णु जी के अनंत रूप की पूजा की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन भक्‍त व्रत रख कर अनंत सूत्र भी बांधते हैं। माना जाता है कि अगर स्‍त्रियां दाएं हाथ और पुरुष बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधे तो उनकी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन की भी परंपरा है। इस दिन को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। 

जिस तरह से स्थापना के समय बप्‍पा का स्वागत होता है उतनी ही धूम धाम के साथ उनका विर्सजन भी किया जाता है। मान्यता है कि बिना विसर्जन बप्पा की पूजा पूरी नहीं मानी जाती। अब आइये यहां जानते हैं गणेश जी की प्रतिमा विसर्जित करने का शुभ मुहूर्त और विसर्जन विधि के बारे में... 

अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त- 

  • सुबह - प्रातः 06:16 से प्रातः 07:48 तक
  • फिर प्रातः 10:51 से प्रातः 03:27 तक
  • दोपहर मुहूर्त - शाम 04:59 से शाम 06:30 तक
  • शाम मुहूर्त (अमृता, चर) - प्रातः 06:30 अपराह्न से 09:27 बजे
  • रात्रि मुहूर्त (लब) - 12:23 AM से 01:52 AM, 13 सितंबर
  • चतुर्दशी तिथि शुरू होती है - 05:06 AM 12 सितंबर, 2019 को
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त - 07:35 AM 13 सितंबर, 2019 को

गणपति विसर्जन करने की विधि:

  1. गणेश जी को विदा करने से पहले भोग लगाएं। 
  2. आरती करते समय पवित्र मंत्रों का स्‍वास्तिवाचन करें 
  3. लकड़ी का एक पटरा लें। उसे गंगाजल से साफ करें। 
  4. घर की महिला इस पटरे पर स्‍वास्तिक बनाए। फिर पटरे पर अक्षत रखने के बाद पीला, गुलाबी या लाल रंग का वस्‍त्र बिछाएं।  
  5. फिर जिस स्‍थान पर गणपति की स्‍थापना की गई हैं वहां से भगवान को उठा कर पटरे पर रखें। 
  6. गणेश जी को विराजमान करने के बाद पटरे पर फल, फूल, पांच मोदक रखें।  
  7. उसके बाद एक छोटी लकड़ी लेकर उसमें गेहूं, चावल और पंच मेवा की पोटली बनाकर बांधें। और कुछ सिक्‍के रखें। 
  8. नदी या तालाब में गणपति का विसर्जन करने से पहले फिर से उनकी आरती करें। 
  9. इसके बाद भगवान से प्रार्थना करें, अपनी इच्‍छा बताएं और अपनी भूल के लिये क्षमा मांगें। 
  10. फिर पूरे मान सम्‍मान के साथ गणेश जी की हर चीजों को एक एक कर के पानी में विसर्जित करें। 

इस महापर्व के सुन्दर अवसर पर दान का बहुत महत्व है। गरीबों में भोजन का वितरण करें। अनाथालय में अन्न और वस्त्र का दान करें।

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