- मंगलवार को विनायक चतुर्थी को अंगारक कहते हैं
- चतुर्थी के दिन का व्रत बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है
- इस दिन गणपति जी के मस्तक पर 21 दूर्वा दल चढ़ाएं
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणपति के निमित्त विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। जब भी विनयाक चतुर्थी का व्रत मंगलवार को आता है, तो इसे अंगारक गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार भी विनायक चतुर्थी मंगलवार को ही है। तो आइए जाने की अंगारक चतुर्थी का क्या महत्व होता है और इस दिन किस तरह से गणपति जी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही इस व्रत को करने के क्या पुण्यलाभ मनुष्य को प्राप्त होते हैं।
अंगारक चतुर्थी का महत्व (Importance of Angarak Chaturthi)
विनायक चतुर्थी पर भगवान गणपति की पूजा विधि-विधान से करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिव पुराण के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन दोपहर में भगवान गणेश का जन्म हुआ था इसलिए हर माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणपति जी के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। चतुर्थी के दिन का व्रत बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है। इस व्रत को करने वाले के हर तरह के कर्ज व रोग प्रभु की कृपा से दूर हो जाते हैं।
अंगारकी गणेश चतुर्थी व्रत विधि (Angaraki Ganesh Chaturthi fasting method)
सुबह स्नान के बाद सभी देवी-देवताओं की पूजा कर लें। विनायक चतुर्थी की पूजा का समय दोपहर के समय होता है। दोपहर में सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बने गणपति जी को आसान देकर चौकी पर विरामान करें। इसके बाद प्रभु के समक्ष व्रत और पूजन का संकल्प लें और षोड़शोपचार पूजन के बाद आरती करें। गणेशजी को सिंदूर चढ़ाएं और ऊं गं गणपतयै नम: का जाप करते हुए गणपति जी के मस्तक पर 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। इसके बाद 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू प्रतिमा के पास ही रहने दें और 5 ब्राह्मण को दान कर दें।शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें। इसके बाद वहीं बैठ कर श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद शाम को स्वयं भोजन ग्रहण करें। संभव हो तो उपवास करें।
गणेश गायत्री मंत्र (Ganesh Gayatri Mantra)
'ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुद्धि प्रचोदयात।।' यह गणेश गायत्री मंत्र है। इस मंत्र शांत मन से कम से कम 108 बार जप करें और जाप शुरू करने से पूर्व गणपति जी के समक्ष अपने कष्ट को कहें और उसे दूर करने के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद इस मंत्र का मानसिक जाप करें। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
विनायक चतुर्थी का व्रत करने से भगवान श्रीगणेश की कृपा से आपकी सभी मनोकामना पूरी हो जाएगी।