नई दिल्ली. बॉलीवुड की सुपरस्टार श्रीदेवी की अस्थियां हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित कर दी गईं। अभिनेत्री के पति बोनी कपूर एक कलश में अस्थियां लेकर गुरुवार को हरिद्वार पहुंचे थे। बोनी कपूर ने यहां अपने भाई अनिल कपूर के साथ पूजा अर्चना की। इससे पहले बोनी कपूर अस्थियां लेकर रामेश्वरम पहुंचे, जबकि बोनी के बेटे अर्जुन उनके साथ यहां मौजूद नहीं दिखे। यहां ये सवाल आता है कि रामेश्वरम के बाद श्रीदेवी की अस्थियां लेकर वो हरिद्वार क्यों पहुंचे।
जब हमारा कोई अपना हमसे दूर चला जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है, तो हम उनकी अस्थियों को गंगा नदी में विसर्जित कर देते हैं। अब सवाल यहां यह उठता है कि आखिर क्यों हम गंगा नदी में ही अस्थियों को विसर्जित करते हैं?
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार गंगा स्वर्ग से धरती पर आई हैं। मान्यता है कि गंगा श्री हरि विष्णु के चरणों से निकली हैं और भगवान शिव की जटाओं में आकर बसी हैं। श्री हरि और भगवान शिव से घनिष्ठ संबंध होने पर गंगा को पतित पाविनी कहा जाता है। मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है।
गंगा नदी इतनी पवित्र हैं की प्रत्येक हिंदू की अंतिम इच्छा होती है उसकी अस्थियों का विसर्जन गंगा में ही किया जाए। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा की शांति के लिए मृत व्यक्ति की अस्थियों को गंगा में विसर्जन करना उत्तम माना गया है। यह अस्थियांं सीधे श्री हरि के चरणों में बैकुण्ठ जाती हैं। । जिस व्यक्ति का अंत समय गंगा के समीप आता है उसे मरणोपरांत मुक्ति मिलती है।
महाभारत की एक मान्यता के अनुसार जब तक गंगा में व्यक्ति की अस्थियां रहती हैं तब तक वह स्वर्ग का अधिकारी बना रहता है। पद्मपुराण में कहा गया है कि जिस व्यक्ति के प्राण निकल रहे हों उसके मुंह में गंगा जल की एक बूंद भी डल जाए या गंगा मैया का स्मरण कर लेने भर से उसके सभी पापों का नाश हो जाता है और वो विष्णु लोक में जाता है।
मान्यतानुसार एक पवित्र नदी का ही इसके लिए चुनाव किया जाता है। लेकिन शास्त्रों में खासतौर पर अस्थि विसर्जन को गंगा नदी से जोड़कर ही देखा गया है। कहा जाता है कि भले ही गंगा समुद्र में मिल जाती है, लेकिन समय प्रवाहित पूर्वजों कि अस्थियां सीधे पितरों को स्वर्ग में जगह प्रदान करती है।
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