- विश्व का सबसे लंबा मेला चलने वाला श्रावणी मेला पिछले 2 सालों से स्थगित
- भक्त घरों में रहकर विभिन्न डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल कर पूजा करेंगे
- इस रामनिवास में चार सोमवारी हैं जिसे काफी फलदायक माना जा रहा है
नई दिल्ली: झारखंड के देवघर (Deoghar) को आस्था और समर्पण की नगरी मानी जाती है। यह एकमात्र देवालय है जहां पर शिवा शक्ति (Shiva Shakti) एक साथ विराजमान है लिहाजा यह अन्य ज्योतिर्लिंगों (Baba Dham Jyotirling) से भिन्न है। इसे कामनालिंग रावणेश्वर बैद्यनाथधाम के नाम से भी जाना जाता है चूंकि यहां पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना लंकापति रावण के द्वारा स्थापित किया गया है उत्तरवाहिनी गंगा सुल्तानगंज से जल भरकर भक्त पांव पैदल 105 किलोमीटर की दूरी तय कर बैद्यनाथधाम पहुंचते हैं और जल अर्पण करते हैं।
सावन शिव का प्रिय मास होता है विश्व का सबसे लंबा मेला चलने वाला श्रावणी मेला पिछले 2 सालों से स्थगित किया गया है, 25 जुलाई से सावन मास की शुरुआत हो गई है लेकिन स्थितियां बदली हुई है। जिस बैजनाथ धाम मंदिर में भक्तों का जनसैलाब उमड़ता था वहां आज खामोशी छाई हुई है।
"बोल बम" (Bol Bam) के नाम से गूंजने वाला शहर आज वीरान है, भक्त अपने घरों में रहकर विभिन्न तरह के डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल कर सुबह और शाम बाबा भोले की विशेष पूजा का लाभ उठा सकते हैं।
बाबा भोलेनाथ की पारंपरिक विधि से की गई पूजा
आज देवघर बाबा मंदिर में अहले सुबह भोलेनाथ की पारंपरिक विधि से पूजा की गई जिसमें मुख्य पुरोहित सहित सिर्फ पुरोहित शामिल हुए इसके बाद बाबा का पट बंद कर दिया गया बिहार झारखंड सहित देश के कोने कोने से भक्त यहां पहुंचते थे लेकिन इनका आगमन देवघर शहर में ना हो इसके लिए देवघर जिला प्रशासन ने झारखंड की सभी सीमाओं को सील कर दिया है और यहां पर पुलिस पदाधिकारी दंडाधिकारी और पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति कर दी गई है। इसके अलावा शिवगंगा और मंदिर क्षेत्र में विभिन्न जगह बैरिकेडिंग कर दी गई है शिव गंगा में स्नान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है इसके अलावा मंदिर के चारों मुख्य दरवाजों पर बैरिकेडिंग कर पुलिस बल और दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त कर दिए गए।
सावन का महीना शिव का महीना होता है
पुजारी मानते हैं कि सावन का महीना शिव का महीना होता है और इस महीने में गंगाजल बेलपत्र और दूध से अभिषेक करने से शिव खुश होते हैं। और मनचाहा वरदान देते हैं। पारिवारिक सुख समृद्धि के लिए या महीना शिव के लिए विशेष होता है यहां कई तरह की पारंपरिक पूजा पद्धति अपनाई जाती है। जिसे सिर्फ प्रधान पुजारी निर्वाहन कर रहे हैं मंदिर के चारों मुख्य दरवाजों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच है लोगों से अपने घरों में रहने की अपील की जा रही है।
इस बार 'सावन' विशेष संयोग लेकर आया है
इस रामनिवास में चार सोमवारी हैं जिसे काफी फलदायक माना जा रहा है सरकार और जिला प्रशासन की ओर से झारखंड सरकार की वेबसाइट पर इसका सुबह और शाम लाइव प्रसारण किया जा रहा है।और भक्तों से अपील की जा रही है। कि वह इसी वर्चुअल दर्शन के माध्यम से भोलेनाथ की घर पर रहकर आराधना करें।
(लेखक उत्कर्ष सिंह, Times Now Navbharat में डिप्टी न्यूज एडिटर हैं)