- बैसाखी के त्यौहार में भी रंग का विशेष महत्व है
- बैसाखी के दिन ज्यादातर लोग नारंगी और पीले रंग के कपड़े पहनते हैं
- सिख समुदाय के लोग बैसाखी के दिन को नए साल के रूप में मनाते हैं
Baisakhi 2022: फसलों के पकने की खुशी, नववर्ष का उल्लास और सभी की खुशहाली की कामना के साथ मनाया जाता है बैसाखी पर्व। सिख धर्म के इस प्रमुख पर्व का बेहद महत्व है। वैसे तो पूरे देश में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन नॉर्थ इंडिया में इसका उत्साह देखते ही बनता है। यही कारण है कि इस दिन हर कोई ट्रेडिशनल दिखना पसंद करता है। बैसाखी के त्योहार में रंग का विशेष महत्व है। इस दिन ज्यादातर लोग नारंगी और पीले रंग के कपड़े पहनते हैं। यह रंग शुभ भी माना जाता है। दरअसल यह रंग सिख धर्म का आधिकारिक रंग माना जाता है। यह रंग बलिदान को दर्शाता है, जो मूल शिष्यों ने अपने विश्वासों के लिए किया था।
बैसाखी का त्योहार
सिख समुदाय के लोग बैसाखी के दिन को नए साल के रूप में मनाते हैं। परिवार के सदस्यों व मित्रों के साथ मिलकर इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस खास दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद नए साल की शुरुआत का संकेत देने के लिए आपको नए कपड़े पहनने चाहिए। नारंगी और पीला पुनर्जन्म और उत्सव दोनों का प्रतीक है। यह रंग त्योहार के दौरान काटे जा रहे सुनहरे गेहूं को भी दर्शाता है।
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फूलों की माला भगवान को करें अर्पित
इस दिन फूल का भी विशेष महत्व होता है। फूलों की माला भारतीय संस्कृति में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे मेहमानों और उच्च प्राणियों के सम्मान का प्रतीक हैं। बैसाखी के दिन चमेली के फूलों से बनी माला बनाए और भगवान को अर्पित करें। चमेली के फूल न केवल अच्छी खुशबू देते है, बल्कि वे शुभता और समृद्धि का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।
हिंदू धर्म में भी है अपना अलग महत्व
सिख धर्म के साथ हिंदू धर्म में भी त्योहार का अपना अलग महत्व है। माना जाता है कि मुनि भागीरथ ने देवी गंगा को धरती पर उतारने के लिए तपस्या की थी। बैसाखी के दिन ही उनकी तपस्या पूरी हुई थी, इसलिए इस दिन गंगा की पूजा भी लोग करते हैं। माना जाता है कि गंगा जी की पूजा करने से सारी मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा इस दिन सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश होता है, इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है।