- भादो के महीने में दान करने से मिलता है पुण्य।
- इस बार भाद्रपद 23 अगस्त से शुरू हो रहा, जो 20 सितंबर तक रहेगा।
- भाद्रपद मास में गरीबों को भोजन कराना अच्छा होता है।
Bhadrapada Month Sart Date 2021 : हिंदू कैलेंडर के छठे महीने को भाद्रपद मास कहा जाता है। सावन पूर्णिमा यानी राखी के दिन सावन मास के खत्म होने के बाद भाद्रपद शुरू होता है। इस बार ये 23 अगस्त यानी सोमवार से शुरू हो रहा है, जो 20 सितम्बर 2021 तक चलेगा। इसे भादो मास भी कहा जाता है। चूंकि पंचांग के अनुसार इस माह कई तीज-त्योहार पड़ते हैं इसलिए इसे मुक्ति मास भी माना जाता है। मान्यता है कि इस पूरे महीने अच्छे कर्म करने और भगवान की आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी कष्ट दूर होते हैं। ऐसे में इस महीने किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, आइए जानते हैं।
इन कार्यों को करने से मिलेगा शुभ फल
1.शारीरिक शुद्धि के लिए इस मास शाकाहारी भोजन करना अच्छा माना जाता है। खासतौर पर पंचगव्य( दूध, दही, घी गोमूत्र, गोबर) का सेवन करें। इससे मानसिक शांति की प्राप्ति होगी।
2.पापों के नाश व पुण्य प्राप्ति के लिए एक समय सात्विक भोजन करें। साथ ही भगवान विष्णु का ध्यान एवं पूजन करें। इस दौरान हरि का मंत्र या नाप जपें।
3.भाद्रपद में दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। इसलिए किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं। साथ ही अपने सामथ्र्य के अनुसार चीजें भेंट करें।
4.भादो मास में किसी पवित्र नदी में स्नान करना भी शुभ माना जाता है। इससे पापों से मुक्ति मिलती है।
इन कामों को करने से बचें
1.शास्त्रों के अनुसार ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए आरामदायक चीजों का त्याग फलदायी माना जाता है। इसलिए पलंग पर सोने और दो टाइम भोजन करने से बचना चाहिए।
2.पूरे महीने प्याज-लहसुन समेत मांसाहारी भोजन करने से बचना चाहिए। इन्हें तामसिक प्रवृत्ति का माना जाता है। इसलिए इन्हें न खाएं।
3.भादो के महीने में शहद, दही-भात, मूली एवं बैंगन आदि का भी त्याग करें।
4.किसी को धोखा न दें और ना ही किसी से झूठ बोलें। ऐसा करने से भगवान नाराज होते हैं।
भाद्रपद क्यों है खास
भाद्रपद चातुर्मास के चार पवित्र महीनों का दूसरा महीना है। इसमें धार्मिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से जीवनशैली में संयम और अनुशासन अपनाया जाता है। भाद्रपद मास में कई व्रत और उत्सव मनाए जाते हैं। इनमें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हरतालिका तीज, गणेशोत्सव, ऋषि पंचमी, डोल ग्यारस और अनंत चतुर्दशी आदि शामिल हैं।