- विष्णुजी के आठवें अवतार हैं भगवान श्रीकृष्ण है
- पृथ्वी के जलमग्न होने पर हुआ था मत्स्य अवतार
- कलियुग के अंत में होगा भगवान का कल्कि अवतार
भगवान विष्णु ने धरती पर तब-तब जन्म लिया जब-जब अधर्म और अत्याचार बढ़ा है। अब तक भगवान ने 9 अवतार लिए हैं, लेकिन माना जाता है कि कलयुग के अंत में भगवान का दसवां अवतार भी होगा। भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु जी का आठवां अवतार लिया था और वह भगवान के परमावतार माने गए। यानी सारे ही गुण भगवान के इस अवतार में शामिल थे। श्रीमद् भागवत में श्रीकृष्ण ने कहा है कि धरती पर जब भी अधर्म बढ़ेगा वह जन्म लेंगे। विष्णु पुराण में भगवान के 10 मुख्य अवतार बताए गए हैं। तो आइए आज आपको विष्णुजी के सभी 10 अवतारों की खास बातें बताएं।
ये भगवान विष्णु के विभिन्न अवतार
मत्स्य अवतार : जब धरती पर हयग्रीव नामक असुर का आतंक बढ़ गया तो पूरी पृथ्वी जलमग्न हो गई। ऐसे में भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार मत्स्य के रूप में लिया था। मत्स्य रूप में भगवान ने हयग्रीव का वध कर पृथ्वी को जल से निकाला था।
कूर्म अवतार : जब देवता और दानवों ने समुद्र मंथन किया था तब भगवान विष्णु ने कूर्म यानी कछुए का अवतार लिया था। भगवान ने मंदार पर्वत पर कूर्म अवतार लेकर कवच धारण किया था। इसके बाद ही देवता और असुरों ने समुद्र को मथा था।
वराह अवतार : हिरण्याक्ष नामक असुर ने एक बार जब पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया तो भगवान विष्णु ने वराह रूप में अवतार लिया और हिरण्याक्ष का वध कर पृथ्वी को बाहर निकाला था।
नृसिंह अवतार : हिरण्यकश्यप ने जब अपने ही पुत्र की विष्णु भक्ति देखी तो उसे जान से मारने पर तुल गया। तब प्रहलाद की रक्षा के लिए विष्णुजी ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।
वामन अवतार : असुरों के राजा बलि के आतंक और घमंड को धराशाही करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था। घमंड में बलि ने वामन को कहा था कि वह उसे तीन पग जमीन देगा। तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार में दो पग में ही पूरी धरती और स्वर्ग नाप लिया था। तीसरे पग को उठाने से पहले बलि नतमस्तक हो गया और पाताल लोक चला गया।
परशुराम अवतार : परशुराम त्रेता युग में ब्राह्मण ऋषि के घर जन्मे थे और ये विष्णु के छठा अवतार माना गया है।परशुराम ने राजा सहस्त्रार्जुन का वध किया था।
श्रीराम अवतार : त्रेतायुग युग में ही भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप रावण का वध करने के लिए लिया था। रावण के अंत से तीनों लोकों को आतंक से मुक्ति मिली थी।
श्रीकृष्ण अवतार : द्वापर युग में कंस और दुर्योधन जैसे अधर्मियों के अंत के लिए भगवान विष्णु ने परमावतार लिया था। श्रीकृष्ण के रूप में जन्में भगवान ने कंस का वध किया था और पांडवों से दुर्योधन के कौरव वंश का अंत करवाया और धर्म की स्थापना की थी।
बुद्ध अवतार : भगवान बुद्ध को विष्णुजी का नौवां अवतार माना गया है। गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना कर समाज को हिंसा से मुक्ति दिलाई थी।
कल्कि अवतार : भगवान विष्णु का दसवां अवतार कल्कि का होगा। कलियुग के अंत में भगवान फिर जन्म लेंगे और अधर्म का नाश करेंगे।
तो ये हैं भगवान विष्णु के दस अवतार के नाम और उनकी विशेषताएं।