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Navratri GhataSthapana vidhi: नवरात्रि के पहले द‍िन अखंड ज्‍योत जलाकर करें घटस्थापना, जानें व‍िध‍ि व न‍ियम

Updated Apr 13, 2021 | 08:31 IST

नवरात्रि की शुभ शुरुआत घटस्थापना यानी कलश स्थापना से होती है। शुभ मुहूर्त पर कलश स्थापित करना बेहद लाभदायक माना जाता है। जानकार बताते हैं कि कलश स्थापित करने के साथ कुछ नियमों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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kalash sthapana navratri 2021
मुख्य बातें
  • वर्ष में कुल 4 बार मनाया‌ जाता है नवरात्रि का शुभ पर्व, इस वर्ष 13 अप्रैल से प्रारंभ हो रही है चैत्र नवरात्रि।
  • 13 अप्रैल को है घटस्थापना, मुहूर्त अनुसार कलश स्थापित करने से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का मिलता है आशीर्वाद।
  • घट स्थापित करते समय कुछ नियमों पर देना चाहिए विशेष ध्यान, लग्न के अनुसार अखंड ज्योति को करें प्रज्वलित।

हिंदू पंचांग के गणना अनुसार, 13 अप्रैल को प्रतिपदा है और इसी दिन से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। 13 अप्रैल से प्रारंभ होकर चैत्र नवरात्रि 22 अप्रैल को समाप्त हो जाएगी। परंपराओं के अनुसार, नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है। नवरात्रि के लिए घटस्थापना विधिवत शुरुआत माना जाता है। जानकार बताते हैं कि घटस्थापना या कलश स्थापना शुभ मुहूर्त पर करना चाहिए। इसी के साथ नवरात्रि की पूजा के लिए कुछ नियमों का पालन भी करना चाहिए। नवरात्रि के पहले ही दिन अखंड ज्योत जलाई जाती है जिसे लग्न के अनुसार प्रज्जवलित किया जाता है। अगर आप भी इस वर्ष चैत्र नवरात्रि व्रत रखकर मां दुर्गा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो घटस्थापना शुभ मुहूर्त पर अवश्य करें

यहां जानें, घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त और नियम।

घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि प्रारंभ: - 13 अप्रैल 2021, मंगलवार

अभिजीत मुहूर्त: - दोपहर (12:00 से लेकर 12:44 तक)

सुबह के लिए शुभ मुहूर्त: - सुबह 10:45 से लेकर दोपहर 01:50 तक

दोपहर में शुभ मुहूर्त: - 03:30 से लेकर शाम 05:00 बजे तक

शाम के समय शुभ मुहूर्त: - 8:00 बजे से लेकर 9:30 बजे तक

घट स्‍थापना की व‍िध‍ि (Ghata or Kalash sthapana Vidhi)

  1. घर के उत्तर पूर्व दिशा में किसी स्थान को अच्छी तरह साफ कर कलश स्थापित करें। उत्तर पूर्व पूजन के लिए सर्वोत्तम दिशा मानी जाती है। 
  2. कलश स्थापित करने के लिए मुहूर्त में ही पहले श्रीगणेश की पूजा करके कलश स्थापित करें। जहां कलश स्थापित करना है वहां एक साफ लाल कपड़ा बिछाएं और नारियल पर मौली बांधें एवं कलश पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। 
  3. कलश में गंगा जल भरें और इसमें आम के पत्ते, सुपारी,हल्दी की गांठ, दुर्वा, पैसे और आम के पत्ते डालें।
  4. यदि कलश के ऊपर ढक्कन रखना चाहती हैं तो ढक्कन में चावल भर दें, यदि कलश खुला है तो उसमें आम के पत्ते डाल दें। 
  5. इसके बाद कलश के बीच में नारियल रखें और दीप जलाकर पूजा करें। 
  6. ध्‍यान रहे क‍ि मां दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित किया जाना चाहिए। 


चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना के नियम

नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धालुओं को घट स्थापित करने के बाद अखंड ज्योति अवश्य प्रज्वलित करनी चाहिए तथा ज्वारे भी स्थापित करना चाहिए। परंपराओं के अनुसार, घट स्थापित करके ही देवी पूजन किया जाता है। ‌ जानकार बताते हैं कि देवी पूजन के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से फल दोगुना बढ़ जाता है। नवरात्रि के प्रत्येक 9 दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बेहद फायदेमंद माना जाता है। अगर आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करने में असमर्थ हैं तो आप नवार्ण मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। नवरात्रि का समापन पूर्णाहुति हवन तथा कन्या भोज के साथ होता है। आप नवार्ण मंत्र, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र तथा दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र के साथ भी पूर्णाहुति हवन को संपन्न कर सकते हैं। अगर आप अखंड ज्योति प्रज्वलित कर रहे हैं तो कलावा यह मौली का उपयोग हमेशा करें। अखंड ज्योति प्रज्वलित करते समय लग्न पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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