- व्यक्ति को सम्मोहित करने के लिए उसके स्वाभाव को जानना जरूरी
- लालची लोगों को बगैर मेहनत आसानी से किया जा सकता हैं सम्मोहित
- बुद्धिमान को सम्मोहित करने का एकमात्र तरीका उनके सामने सच बोलना
Chanakya Neeti in Hindi: आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र में सफल जीवन जीने के कई उपाय बताए हैं। उन्होंने सफलता, मित्रता, परिवार आदि के बारे में बताते हुए इंसानों के स्वभाव के बारे में बहुत गूढ़ बातें बताई हैं। आचार्य चाणक्य इंसानी स्वभाव के बारे में बताते हुए कहते हैं कि व्यक्ति का स्वभाव चाहे जैसा हो उसे आसानी से सम्मोहित कर अपने बस में किया जा सकता है, बस जरूरत होती है उसके स्वभाव के बारे में जानने की। चाणक्य नीति में लालची, क्रोधी, मूर्ख, बुद्धिमान जैसे अलग-अलग स्वभाव के लोगों को सम्मोहित करने का तरीका भी बताया गया है।
लालची
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि लालची व्यक्ति को बगैर मेहनत आसानी से सम्मोहित की अपने बस में किया जा सकता है। ऐसे लोगों को बस पैसे दिख जाएं वह इसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। इन्हें पैसे देकर आसानी से अपने मन मुताबिक काम करवाया जा सकता है। हालांकि लालच के प्रकार के अनुसार पैसे की जगह अन्य वस्तु का बदलाव हो सकता है, लेकिन ऐसे व्यक्ति के स्वभाव में बदलाव नहीं आता।
क्रोधी
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि क्रोधी स्वभाव के लोगों को उनका क्रोध सहकर अपने वश में किया जा सकता है। ऐसे लोगों को अपने वश में करना भी बेहद आसान होता है, क्योंकि आज के समय में कोई किसी का गुस्सा नहीं सह सकता। ऐसे में अगर आप किसी का गुस्सा सहते हैं तो वह व्यक्ति धीरे-धीरे आपके वश में आ सकता है। ऐसे लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी ही क्रोध होता है।
मूर्ख
आचार्य चाणक्य का मानना है कि अगर किसी बेवकूफ को अपने वश में करना हो तो बस उसकी प्रशंसा करते रहो। क्योंकि ऐसे लोगों में सही-गलत की पहचान करने की क्षमता नहीं होती है। इस स्वभाव के लोग दूसरों से अपनी प्रशंसा सुनकर फूले नहीं समाते। ऐसे लोगों की प्रशंसा कर कोई भी कार्य कराया जा सकता है।
बुद्धिमान
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सबसे मुश्किल बुद्धिमान लोगों को सम्मोहित करना होता है। क्योंकि ऐसे लोग हर चीज को अपनी बुद्धिमत्ता से परख और समझ कर उस पर फैसला लेते हैं। आचार्य कहते हैं कि किसी बुद्धिमान को सम्मोहित करने का एकमात्र तरीका उनके सामने सच बोलना है। ऐसे लोगों को सच बोलकर अपने प्रभाव में लिया जा सकता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)