- चाणक्य नीति के अनुसार, आत्मविश्वास सफलता की कुंजी है
- बुरे दौर में निराश ना हों, धैर्य बनाए रखें और परिश्रम करते रहें
- आय और व्यय की रखें सही जानकारी
Chanakya Neeti For Success: कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ और प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विश्वविख्यात आचार्य चाणक्य का नीतिशास्त्र व्यक्ति के जीवन में काफी उपयोगी माना गया है। जीवन में ऐसे कई मोड़ आते हैं जब काफी परिश्रम के बाद भी सफलता आपके हाथ नहीं लगती। वहीं कई बार सफलता के बेहद करीब होते हुए भी आप इससे चूक जाते हैं।
ऐसे में आचार्य चाणक्य की नीतियां आपके लिए काफी फलदायी साबित हो सकती है। इन नीतियों की सहायता से आप सफलता और अपने महानतम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के सफलता के छह मूलमंत्र, जिसे अपनाने मात्र से ही आप सफलता के महानतम लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
आत्मविश्वास होना
सफलता के लिए आत्मविश्वास होना सबसे आवश्यक है। किसी व्यक्ति में अगर आत्मविश्वास है तो वो अपने जीवन में कभी असफल और निराश नहीं हो सकता। आत्मविश्वास होने पर व्यक्ति मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियो से निकल कर आगे बढ़ सकता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है वह असफल होता है।
इस बात का रखें ध्यान
आचार्य चाणक्य के अनुसार एक सफल व्यक्ति को ज्ञात होना चाहिए की आप किसके अधीन कार्य कर रहे हैं। साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आपका संस्थान, कंपनी, प्रबंधक या बॉस आपसे क्या उम्मीद करता है। आप हमेशा वही कार्य करें जिससे आपके संस्थान को लाभ हो तभी आफको सफलता मिल सकती है।
धैर्य बनाए रखना
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को अपने अच्छे और बुरे समय का ज्ञात होना आवश्यक है। यदि आपके जीवन में अच्छे दिन चल रहे हैं तो निरंतर अच्छे कार्य करते रहें। वहीं यदि आपके जीवन में बुरा दौर चल रहा तो निराश ना हों धैर्य बनाए रखें और निरंतर कठिन परिश्रम करते रहें। इससे बहुत जल्द आपके जीवन से बुरा दौर गुजर जाएगा।
कार्य करने का उद्देश्य
आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए उसका उद्देश्य स्पष्ट होना आवश्यक है। अस्पष्टता, अज्ञानता और भ्रम की स्थिति में कार्य करने से उसमें सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है। इसलिए कार्य करने से पहले इस पर भलीभांति विचार कर लिया जाना चाहिए।
सच्चे दोस्त को पहचानने का हुनर
आचार्य चाणक्य के अनुसार सफलता के लिए अपने दोस्त और दोस्त की शक्ल में मौजूज दुश्मन को पहचानने का गुण विकसित करना चाहिए। अक्सर लोग सामने दिख रहे दुश्मन से तो सावधान हो जाते हैं लेकिन दोस्त की शक्ल में दुश्मन से धोखा खा जाते हैं। इसलिए सच्चे मित्र को पहचानने का हुनर होना चाहिए। सच्चा दोस्त सफलता में आपकी मदद करता है।
धन संचय
चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कहा है कि धनी व निर्धन सभी व्यक्तियों को धन संचय करना आना चाहिए। धन की बर्बादी व्यक्ति को बर्बाद कर सकता है। इसलिए व्यक्ति को अपने फालतू के खर्चों पर लगाम लगाना चाहिए। तथा अपने आय के अनुसार ही खर्च करना चाहिए। जो व्यक्ति आय से अधिक खर्च करते हैं वो परेशानियों में अवश्य फंसते हैं। साथ ही धन संचय करना चाहिए,यह बुरे वक्त से लड़ने में कारगार होता है।