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Chanakya Niti: मेहनत करने से मिलती है सिर्फ गुलामी, बॉस बनना है तो अपनाओं इन पशु-पक्षियों के खास गुण

Updated Sep 21, 2022 | 06:18 IST

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य ने मनुष्‍य जीवन को सफल बनाने के लिए कई ग्रंथों की रचना की है। लेकिन नीति शास्त्र इसका सबसे अहम भाग है। आचार्य ने जीवन में सफल होने के मूल मंत्र बताते हुए लोगों को पशु और पक्षियों से खास गुण सीखने की सलाह दी है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
गुलाम की जगह बनना है बॉस तो अपनाएं ये खास गुण
मुख्य बातें
  • सिर्फ मेहनत करने से मनुष्‍य को नहीं मिल सकती है सफलता
  • सफलता पाने के लिए मनुष्‍य में मेहनत के साथ कुछ गुण जरूरी
  • सफलता के लिए इन पशु और पक्षियों से सीख सकते हैं खास गुण

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्‍त्र में मनुष्‍य जीवन को आसान बनाने के कई उपाय बताए हैं। आचार्य ने मनुष्य के हर तरह की परेशानी को चुटकी में हल करने के कई उपाय बताते हुए कहा है कि परेशानियों से निजात पाने का सबसे आसान तरीका है समय के अनुसार सही फैसला लेना। आचार्य के अनुसार व्‍यक्ति कभी-कभी पूरी मेहनत करता है, लेकिन इसके बाद भी सफलता उससे कोसो दूर रहती है। आचार्य मेहनत को सफलता पाने की अहम कुंजी बताते हुए इसके उपयोगिता पर सवाल भी उठाए हैं। आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि हमेशा और लगातार काम करनता सफलता पाने का जरिया जरूर है, लेकिन यह मेहनत तभी सफलत होती है, जब आपके अंदर पशु-पक्षियों के खास गुण हों।

गधा  

आचार्य चाणक्य मेहनत करने वाले लोगों की तुलना गधा से करते हुए कहते हैं कि एक गधा पूरी जिंदगी बिना सोचे समझे कड़ी मेनहत करता है। लेकिन इसके बाद भी न तो उसे इज्जत मिलती है और ना ही प्रशन्सा। इसकी वजह से ही गधा गुलामी का प्रतीक बन गया है। यह पूरी जिंदगी गुलाम की तरह रहता है और गुलाम की तरह ही मर जाता है। गधा मनुष्‍य को ये सिखाता है कि बिना लक्ष्य के ना तो आप के अंदर की प्रतिभा को निखरने का मौका मिलेगा और ना ही आप आगे बढ़ पाओंगे।

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बाज

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जगंल में कई तरह के जानवर होते है, जो अपना पेट भरने के लिए मेहनत करते है, लेकिन इनमें से सफलता कुछ ही जनवरों को मिलती है। जंगल में कई ऐसे जानवर होते हैं जो या तो भूख से मर जाते हैं या दूसरों के शिकार बन जाते हैं। लेकिन इनके बीच एक बाज एक ऐसा पक्षी होता है जो कभी विफल नहीं होता। बाज अपने लक्ष्य को साधने के लिए घंटों मेहनत करता है और आखिर में जब वो अपने शिकार की तरफ बढ़ता है, तो उसे पा कर ही दम लेता है। बाज से मनुष्य को सीखना चाहिए कि कभी भी जल्दबाजी में फैसले नहीं लेना चाहिए। अपना लक्ष्य निर्धारित करके आगे बढ़ना चाहिए। इसमें चाहे जितना ही समय क्‍यों न लग जाए।

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शेर

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्‍य को जंगल के जिस जानवर से सबसे ज्‍यादा सीख लेने की जरुरत है वो है शेर। क्‍योंकि जगंल का राजा होने के बाद भी शेर तभी शिकार करता है जब वो अपने लक्ष्य को लेकर बिल्कुल आश्वत होता है। खासबात ये हैं कि लक्ष्य कितना ही छोटा क्यों ना हो, शेर अपना शिकार उतनी ही तंमयता के साथ करता है, जितना कि किसी बड़े जानवर का शिकार करता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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