- आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से प्रारंभ होता है चातुर्मास और कृष्ण शुक्ल एकादशी पर होता है समाप्त।
- चातुर्मास के 4 महीनों में व्रत, भक्ति, ध्यान, साधना, पूजन आदि से मिलता है शुभ फल, नियमों का पालन करने से होती है पुण्य की प्राप्ति।
- चातुर्मास के चार महीनों में भगवान विष्णु शायन काल पर चले जाते हैं और भगवान शिव संसार की जिम्मेदारियां उठाते हैं।
Chaturmas 2021 : सनातन धर्म के अनुसार, भक्ति, ध्यान, साधना और व्रत के चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। यह 4 महीने भगवान विष्णु तथा भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से होती है और इसका अंत कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर होता है।
चातुर्मास के 4 महीने श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक हैं। इन सभी चार महीनों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण श्रावण मास माना गया है क्योंकि यह महीना भगवान शिव को समर्पित है और इस महीने में भगवान शिव की पूजा-आराधना श्रद्धा भाव से की जाती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है उसे देवशयनी एकादशी कहते हैं और जिस दिन चातुर्मास खत्म होता है उसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है।
जानकार बताते हैं कि चातुर्मास में फर्श पर सोना चाहिए और सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए। इन 4 महीनों में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और सोलह संस्कार वर्जित माने जाते हैं। यहां जानें, इस वर्ष चातुर्मास कब से प्रारंभ हो रहा है और इसका महत्व क्या है।
Chaturmas 2021 start date, चातुर्मास 2021 कब से शुरू है
चातुर्मास 2021 प्रारंभ तिथि: - 20 जुलाई 2021
हरि शयनी एकादशी तिथि प्रारंभ: - 19 जुलाई 2021 रात (09:59)
हरि शयनी एकादशी तिथि समाप्त: - 20 जुलाई 2021 रात (07:17)
Chaturmas significance, Chaturmas mahatmay, क्या है चातुर्मास का महत्व
चातुर्मास का समय साधु, संतों और भक्तों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के चार महीनों में हवन, ध्यान, व्रत तथा पूजन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु शायन के लिए पाताल लोक में चले जाते हैं और संसार की पूरी जिम्मेदारी भगवान शिव उठाते हैं। इसीलिए चातुर्मास के पहले महीने में भगवान शिव की पूजा-आराधना करना लाभदायक माना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार, जो इंसान चातुर्मास में सभी नियमों का पालन करता है तथा संयम बरतता है उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है।