- वर्ष में चार बार मनाई जाती है नवरात्रि, माघ और आषाढ़ मास में होती है गुप्त नवरात्रि।
- माघ और आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि में किए जाते हैं कई उपाय।
- शाकंभरी और गायत्री नवरात्रि के नाम से भी जानी जाती है यह नवरात्रि।
Ashadha Gupt Navratri Dates and Asad Navratri Panchang 2021: मां दुर्गा के रूप में सनातन धर्म में आदि शक्ति की आराधना की जाती है। वर्ष में कुल चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। माघ और आषाढ़ मास में पड़ने वाली एकादशी को गुप्त एकादशी के नाम से जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा विधिवत तरीके से की जाती है। वर्ष में पड़ने वाली सभी चार नवरात्रि मां दुर्गा के भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं मगर माघ और आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि अघोरियों और तांत्रिकों के लिए बहुत विशेष मानी जाती हैं।
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के भक्त व्रत नहीं रखते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में गुप्त नवरात्रि के महत्व के बारे में बताया गया है और यह भी उल्लेखित किया गया है कि तंत्र विद्याओं के लिए गुप्त नवरात्रि कितनी अनुकूल है। जानकार बताते हैं कि गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों में महाविद्याओं की पूजा-उपासना करना अत्यंत कल्याणकारी होता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए रात्रि जागरण और हवन करवाया जाता है।
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि के दौरान कई नियमों का पालन करना चाहिए। गुप्त नवरात्रि को शाकंभरी नवरात्रि और गायत्री नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है जो भक्त गुप्त नवरात्रि के दौरान श्रद्धा-भाव से मां दुर्गा की पूजा करता है उस पर मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की विशेष कृपा बरसती है।
गुप्त नवरात्रि की प्रारंभ, समापन और सभी महत्वपूर्ण तिथियां (Ashadha Gupt Navratri All Dates July 2021 / Asad Gupt Navratri Panchang Muhurat 2021)
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ तिथि: - 11 जुलाई 2021
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: - 10 जुलाई 2021 सुबह 06:46
प्रतिपदा तिथि समाप्त: - 11 जुलाई 2021 के समय 07:47
अभिजीत मुहूर्त: - 11 जुलाई, दोपहर 12:05 से 11 जुलाई दोपहर 12:59 तक
घट स्थापना मुहूर्त: - 11 जुलाई सुबह 05:52 से 07:47 तक
प्रतिपदा तिथि (11 जुलाई 2021)
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। प्रतिपदा तिथि पर घट स्थापित किया जाता है तथा माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
द्वितीय तिथि (12 जुलाई 2021)
प्रतिपदा तिथि के बाद आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि प्रारंभ होगी जिस दिन ब्रह्माचारिणी देवी की पूजा करने का विधान है।
तृतीया तिथि (13 जुलाई 2021)
नवरात्रि की तृतीया तिथि पर माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। मां चंद्रघंटा अपने भक्तों को सुख व समृद्धि का वरदान देती हैं।
चतुर्थी तिथि (14 जुलाई 2021)
14 जुलाई 2021 के दिन आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है और इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा होगी। मां कुष्मांडा की पूजा करने से रोग मुक्त हो जाते हैं।
पंचमी तिथि (15 जुलाई 2021)
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पंचमी तिथि पर मां स्कंदमाता की पूजा और आराधना का विधान है। मां स्कंदमाता अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं और उनकी रक्षा करती हैं।
षष्ठी तिथि (16 जुलाई 2021)
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर मां कात्यायनी तथा मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी। मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह बाधा दूर होते हैं तथा भय से मुक्ति मिलती है वही मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली माता कही गई हैं।
अष्टमी (17 जुलाई 2021)
17 जुलाई 2021 पर दुर्गा अष्टमी का पर्व है और इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है। मां महागौरी की सवारी गाय है और वह सफेद वस्त्र धारण करती हैं। मां महागौरी को अन्नपूर्णा स्वरूप भी कहा जाता है।
नवमी (18 जुलाई 2021)
अष्टमी तिथि पर सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इस वर्ष 18 जुलाई पर नवमी तिथि है। मां सिद्धिदात्री मां दुर्गा का नवा स्वरूप मानी गई हैं इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
दशमी तिथि (19 जुलाई 2021)
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर विजयदशमी पूजा होगी।