- छठ पूजा 18 नवंबर से 21 नवंबर तक है
- 20 नवंबर को शाम का अर्घ्य दिया जाएगा
- 21 नवंबर को सुबह के अर्घ्य के साथ इसका समापन होगा
नई दिल्ली: छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। छठ पर्व की शुरुआत 18 नवंबर को नहाय खाय से हुआ जो 21 नवंबर तक सुबह के अर्घ्य देने तक मनाया जाएगा। शाम का अर्घ्य 20 नवंबर को छठ पूजा के व्रती देंगे और 21 नवंबर सुबह को भगवान सूर्य के अर्घ्य के साथ इस व्रत का समापन हो जाएगा।
छठ पूजा में बहुत सारी चीजें अर्पित की जाती हैं इसलिए सभी सामग्री रखने के लिए बांस की दो बड़ो टोकरियां या फिर सूप खरीदना होता है। खरना यानी षष्ठी के अगले दिन यानी सप्तमी को सूर्योदय को पुनः सूर्य पूजा करके अर्ध्य दिया जाता है।
इस दौरान प्रसाद और फल से पूरी टोकरी सजी रहती है। टोकरी को धोकर ही उसमें प्रसाद व पूजा की सामग्री रखी जाती है। वहीं सूर्य को अर्घ्य देते वक्त सारा सामान सूप में रखा जाता है। दीपक भी सूप में ही जलता है। सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के लिए लोटे में दूध, गंगाजल और साफ जल मिलाएं और फल प्रसाद के ऊपर चढ़ाते हुए अर्घ्य दें। इस पूजा में जो सामग्री चाहिए होती है, वो इस प्रकार है-
छठ पूजा की सामग्री
- बांस की दो बड़ी टोकरियां
- दूध और जल के लिए ग्लास
- एक लोटा और थाली
- 5 गन्ने पत्ते के साथ
- शकरकंदी और सुथनी
- बांस या फिर पीतल का सूप
- पान और सुपारी
- हल्दी
- बड़ा मीठा नींबू
- शरीफा
- केला
- मूली और अदरक का हरा पौधा
- नाशपाती
- पानी नारियल
- मिठाई
- चावल का आटा
- ठेकुआ
- चावल
- सिंदूर (कुमकुम) पीला सिंदूर
- गुड़
- गेहूं
- दीपक
- शहद
गौर हो कि छठ पूजा हिंदू कलैंडर के मुताबिक कार्तिक मास में दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाने वाला पर्व है। छठी देवी को सूर्य देव की मानस बहन माना गया है, इसलिए इस मौके पर भगवान भास्कर यानी सूर्य की अराधना पूरी निष्ठा व परंपरा के साथ की जाती है। यह पर्व पूर्वी भारत में काफी प्रचलित है और मुख्य रूप से के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।