- शनि पहले से ही मकर राशि में मौजूद, गुरु भी करेंगे प्रवेश
- एक ही राशि में गुरु और शनि का होना है बेहद खास ज्योतिषीय घटना
- मकर राशि में 60 साल में एक बार आती है ऐसी महादशा
नई दिल्ली: 20 नवंबर से देवगुरु बृहस्पति अपना राशि परिवर्तन करेंगे, वे धनु राशि छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। गुरु के मकर राशि में प्रवेश को गुरु की नीच राशि बताया जाता है। वैसे तो गुरु का नीच राशि में आना अच्छा नहीं माना जाता, पर घबराने की बिल्कुल बात नहीं है, इस बार जब गुरु मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं तो शनि देव पहले से ही अपनी स्वयं की मकर राशि में विराजमान हैं। यह एक महायुति होती है। एक ही राशि में गुरु और शनि का होना कोई आम ज्योतिषीय घटना नहीं है, ऐसा केवल बीस वर्ष में एक बार होता है जब दोनों ग्रह एक राशि में हों।
खास तौर पर मकर राशि में ऐसी घटना साठ साल में केवल एक बार होती है, जिसे हम ज्योतिषीय भाषा में दोहरा गोचर कहते हैं। मकर राशि को स्वर्ग की राशि बताया गया है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण राशि है। सामाजिक दृष्टिकोण से देखें तो यह समाज में एक बहुत बड़ा बदलाव आने का संकेत है।
वैसे तो मकर राशि गुरु की नीच राशि है पर क्योंकि शनि अपनी ही राशि में स्थित है और जब इस समय गुरु शनि के साथ में जुड़ेंगे तो यह एक अद्भुत योग बनाते हैं जिसे नीचभंग राजयोग कहते है। शनि हमारे जीवन में जिन शक्तियों को दर्शाते हैं वे हैं अनुशासन, नियम, कड़ी मेहनत, ये सारे अच्छे गुण गुरु की नीचता को दूर करके इसे भी एक राजयोग में परिवर्तित कर सकते हैं।
अगर आप नौकरीपेशा हैं तो अपने कनिष्ठ कर्मचारियों के प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन का खास ध्यान रखें क्योंकि उनके सहयोग से आप सुरक्षित रह सकते हैं। अगर आप विद्यार्थी हैं तो जितने अनुशासन में रहेंगे उतना ही बड़ा राजयोग बनेगा, उतना ही अच्छा फल आपको मिलने वाला है।अगर आप लगातार अपने व्यापार में बढ़ रहे है या अपनी नौकरी में बहुत अच्छी तरक्की कर रहे हैं तो यह समय है कि अपनी गति कुछ कम कर लें, यह समय विस्तार करने का नहीं बल्कि यह जांचने का है कि आपके उद्योग, संस्था, व्यापार ठीक से, नैतिक मूल्यों के अनुसार चल रहे हैं या नहीं।
यह समय अपने धर्म के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए बहुत अच्छा है, साठ साल में एक बार ऐसी युति होती है और उसमें भी खास समय तब है जब बृहस्पति और शनि लगभग एक ही अंश पर रहेंगे। एक दूसरे के बहुत निकट रहेंगे, यह समय है 16 दिसंबर से 29 दिसंबर तक। दो हफ्तों के इस समय को आप ज्ञान, ध्यान, साधना में लगा सकते हैं।
जनवरी 2021 में एक साथ होंगे सूर्य, गुरु और शनि
जनवरी में मकर संक्रांति पर जब सूर्य भी मकर में प्रवेश करेंगे, सौर मंडल के तीन सबसे बड़े ग्रह सूर्य, शनि और गुरु तीनों एक साथ रहने वाले हैं। मकर संक्रांति से लेकर 12 फरवरी तक, यह एक महीना भी सभी आध्यात्मिक साधकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। मकर राशि एक पृथ्वी तत्व प्रधान राशि है, यह कृषि क्रान्ति का भी समय हो सकता है। खनन उद्योग, रियल स्टेट में भी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। यह एक चर राशि भी है तो तो राजनीतिक सीमाओं में कुछ न कुछ परिवर्तन आने की संभावनाएं हैं। जो भूकंप प्रवण क्षेत्र हैं वहां पर थोड़ी अधिक सावधानी की आवश्यकता पड़ सकती है।
(लेखक आर्ट ऑफ़ लिविंग में ज्योतिष और वास्तु विभाग के प्रमुख हैं। )
प्रस्तुति : अनीता निहालानी