नई दिल्ली. क्रिसमस में केक और गिफ्ट के अलावा एक और चीज का इस त्योहार में विशेष महत्व होता है, वह है क्रिसमस ट्री। यह एक सदाबहार पेड़ है, जिसकी पत्तियां न तो किसी मौसम में झड़ती हैं और न ही इसमें कभी मुरझाती हैं। हर साल इस त्योहार में घर में लोग क्रिसमस ट्री लगाते हैं। लेकिन क्या आप इसके इतिहास के बारे में जानते हैं।
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परिवार वालों की याद में रोपते हैं क्रिसमस ट्री
क्रिसमस ट्री को इंग्लैंड में लोग किसी के बर्थडे, शादी या किसी रिश्तेदार की मृत्यु हो जाने पर भी उसकी याद में रोपते हैं। इसके जरिए वो कामना करते हैं कि इससे पृथ्वी हमेशा ही हरी भरी रहे। प्राचीन इतिहास और कुछ कथाओं से यह भी पता चला है कि क्रिसमस ट्री अदन के बाग में भी लगा था।
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ऐसी है प्राचीन कहानी
मान्यताओं के मुताबिक अदन के बाग में लगे क्रिसमस ट्री को हव्वा ने भल को तोड़ा और खाया जिसे परमेश्वर ने खाने से मना किया था, तब इस वृक्ष की वृद्धि रूक गई और पत्तियाँ सिकुड़ कर नुकीली बन गई। कहते हैं कि इस पेड़ की वृद्धि उस समय तक नहीं हुई जब तक प्रभु यीशु का जन्म नहीं हुआ। उसके बाद यह वृक्ष बढ़ने लगा।
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सोने में बदल गए मकड़ी के जाले
क्रिसमस ट्री के बारे में एक और कथा है कि एक बढ़िया अपने घर देवदार के वृक्ष की एक शाखा ले आई और उसे घर में लगा दिया। लेकिन उस पर मकड़ी ने अपने जाले बना लिए। लेकिन जब प्रभु यीशु का जन्म हुआ था, तब वे जाले सोने के तार में बदल गए थे। इस तरह के सम्बन्ध में अनेक मन्यताएं, कहानियां एवं इतिहास हैं।
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