- देवशयनी एकादशी से चार माह के लिए निद्रा में चले जाते हैं भगवान विष्णु
- देवशयनी एकादशी के बाद देवोत्थान एकदाशी पर जागते हैं भगवान विष्णु
- देवशयनी एकादशी से हो जाती है चातुर्मास की शुरुआत
Devshayani Ekadashi 2022 Chaturmas Importance: हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह दो एकादशी तिथि (शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष) में पड़ती है। वैसे तो साल में कुल 24 और अधिकमास मे 26 एकादशी तिथि पड़ती है। लेकिन सभी एकादशी में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का महत्व अधिक बढ़ जाता है। इसे देवशयनी एकादशी या सौभाग्यदायिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार देवशयनी एकादशी 10जुलाई 2022 को पड़ रही है। इस एकादशी का धार्मिक महत्व इसलिए भी खास होता है क्योंकि इस एकादशी के दिन से ही भगवान विष्णु चार महीने के लिए सो जाते हैं। चार महीने के बाद देवोत्थान या देवउठनी एकादशी के दिन फिर भगवान निद्रा से जागते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु के सोने के बाद पूरे चार महीने शादी, विवाह, मुंडन, जनेऊ जैसे सभी 16 संस्कार कार्य पर रोक लग जाती है। भगवान विष्णु के देवोत्थान एकादशी पर जागने के बाद फिर से सभी कार्य शुरू हो जाते हैं। आषाढ़ के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन से कार्तिक के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन तक इन चार महीनों को शास्त्रों में चातुर्मास या चौमास के नाम से जाना जाता है। जानते हैं क्या है चातुर्मास और क्यों चार महीने के लिए सो जाते हैं भगवान विष्णु।
चातुर्मास का महत्व
- कहा जाता है कि जितने दिन भगवान विष्णु निद्रा में होते हैं उनके अवतार सागर में संजीवनी बूटी बनाते हैं, जिससे पृथ्वी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है।
- चतुर्मास या चौमास में कोई यात्रा करने से बचना चाहिए।
- चातुर्मास के दौरान भले ही मांगलिक कार्यों पर पाबंदी होती है लेकिन पूजा-पाठ, यज्ञ और तीर्थ यात्रा में कोई मनाही नहीं होती।
- आषाढ़ के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन से कार्तिक के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन तक भगवान विष्णु चिर निद्रा में होते हैं।
- कहा जाता है कि देवउठनी एकादशी पर भगवान ने माता लक्ष्मी से विवाह किया था। इसलिए इस दिन से सभी शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
इस बार देवशयनी एकादशी तिथि की शुरुआत 9 जुलाई 2022 शाम 4 बजकर 39 मिनट से हो रही है और एकादशी तिथि की समाप्ति 10 जुलाई दोपहर 2 बजकर 13 मिनट पर होगी। उदयातिथि के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत व पूजन 10 जुलाई को किया जाएगा।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)