Divak mata temple (दिवाक माता मंदिर): भगवान के मंदिर में श्रद्धालु उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाते हैं। वहीं माता के मंदिरों में उन्हें सिन्दूर, चूडियां या फिर बिंदी और वस्त्र अपर्ण किया जता है। लेकिन हमारे देश में एक ऐसा भी मंदिर है जिसमें देवी को प्रसन्न करने के लिए हथकड़ी और बेडियां चढ़ाई जाती हैं।
जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना, यह मंदिर राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में है, जिसका नाम दिवाक मंदिर है। यह मंदिर देवलिया के पास घने जंगल में स्थित है। इस मंदिर में भक्त दूर-दूर से अपनी मन्नत पूरी करने के लिए आते हैं। इस मंदिर में आखिर ऐसा काम क्यों होता है, यहां जानें....
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इस मंदिर में तकरीबन 200 साल पुराना त्रिशूल है जिस पर लोग बेडियां चढ़ाते हैं। मान्यता है कि माता का नाम भर लेने से हथकड़ियां और बेड़ियां अपने आप ही खुल जाती हैं। इस त्रिशूल पर जो हथकड़ियां चढ़ी हैं, उनमें से कई तो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं।
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जेल जाने से बचाती हैं माता
इस मंदिर में वे भक्त आते हैं जो अपने रिश्तेदारों को जेल से छुड़वाना चाहते हैं। इसके लिए ही वे माता के मंदिर में हथकड़ी चढ़ाते हैं।
खूंखार डाकुओं ने शुरू की यह परंपरा
पुराने समय में यहां मालवा के खूंखार डाकुओं का बोलबाला था। इन डाकुओं में एक नामी डाकू पृथ्वीराणा ने जेल में दिवाक माता की मन्नत मांगी थी कि अगर वह जेल तोड़कर भागने में सफल रहा, तो वह सीधा यहां दर्शन करने के लिए आएगा।
यहां के लोग कहते हैं कि उसने जैसे ही माता को याद किया, उसकी बेडियां अपने आप ही टूट गईं और वह जेल से भाग निकला। तभी से यहां परंपरा चली आ रही है जो आज भी जिंदा है।
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