- पितृ पक्ष में किसी भी शुभ काम कि शुरुआत न करें
- पितरों को पिंड देने से गृहस्थ दीर्घायु, यशस्वी होता है
- पितृ पक्ष में नाखून और बाल कटाना निषेध है
आश्विन कृष्ण पक्ष में श्राद्धपक्ष या पितृ पक्ष होता है। पितरों के लिए 16 श्राद्ध होते हैं । इस पक्ष में उन सभी लोगों का पिंडदान किया जाता है जो किसी भी माह या तिथि पर स्वर्गवासी हुए हों। श्राद्ध दो प्रकार के होते हैं। पार्वण श्राद्ध और एकोदिष्ट श्राद्ध। आश्विन कृष्ण के पितृपक्ष में जो श्राद्ध किया जाता है वह पार्वण श्राद्ध कहा जाता है। पार्वण श्राद्ध पुरवजों के मृत्यु की तिथि के दिन किया जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।
जिन लोगों कि मृत्यु की तिथि या दिन का पता नहीं होता ऐसे पितरों का श्राद्ध आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से अमावस्या पर किया जाता है। पितरों को पिंडदान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, यशस्वी होता है, लेकिन कुछ बातों श्राद्ध के समय जरूर ध्यान देनी चाहिए। इस माह कुछ काम बिलकुल निषेध होते हैं, उन्हें करने से बचना चाहिए, अन्यथा इसके बुरे परिणाम पूरे परिवार को भुगतने पड़ते हैं। तो आइए जानें क्या हैं वे काम जिनसे श्राद्ध में दूरी बना लेनी चाहिए।
पितृ पक्ष में रखें इन खास बातों का ध्यान
- पितृपक्ष में कभी भी अपने घर से किसी को पानी पीए बिना न जानें दें। यदि कोई पानी मांग रहा तो उसे पानी के साथ मीठा भी दें। ऐसा माना जाता है कि पितृ किसी भी रूप में आपसे अन्न और जल पाने के लिए आते हैं।
- गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ इन सब को श्राद्ध में खाना जरूर दें। ये पितृ का रूप होते हैं।
- पितृ पक्ष में बिलकुल सादा खाना खाएं। मांसाहार या तामसी चीजों का सेवन न करें। शराब और नशीली चीजों को बिलकुल हाथ न लगाए। घर में कलह न होने दें।
- श्राद्ध पक्ष में कभी शारीरिक संबंध न बनाएं। यह समय ब्रह्मचर्य का पालन का होता है।
- नाखून, बाल एवं दाढ़ी मूंछ बनवाना इस दिन वर्जित है। यह सारे काम श्राद्ध करने के बाद ही करने चाहिए। पितरों के लिए शोक व्यक्त करने का ये तरीका होता है।
- पितृपक्ष में जब भी आप कुछ खाना बनाए उसका एक हिस्सा पितरों के लिए जरूर निकालें। फिर इसे आप गाय, कुत्ता या कौए को खिला दें।
- श्राद्ध के समय कभी भी कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए। विवाह, घर खरीदना या सोने चांदी जैसे आभूषण या कार आदि खरीदने से बचें। यहां तक कि शुभ काम की चर्चा के लिए भी इस माह को बीतने देना चाहिए।
इन छोटी लेकिन बेहद महत्वूर्ण बातों का ध्यान श्राद्ध में जरूर दें, ताकि आप पितरों के कोप का शिकार न बनें।
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